आमिर खान (Aamir Khan) की फिल्म “लाल सिंह चड्ढा” (Lal Singh Chaddha) और अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की “रक्षा बंधन” (Raksha Bandhan) गुरुवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई. 2022 बॉलीवुड के लिए कुछ खास नहीं रहा है. दूसरी तरफ अक्षय और आमिर की फिल्मों से बॉलीवुड को बहुत उम्मीदें थी. सोशल मीडिया पर दोनों ही फिल्मों को लेकर बॉयकॉट की अपील करने वालों की कमी नहीं थी. आमिर और अक्षय दोनों सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल हो रहे थे. दोनों के ही फैंस ने फिर इन्हें सपोर्ट भी किया. दोनों की ही नई रिलीज फिल्म के लिए माहौल खूब बना. अक्षय ने बयान भी दिया कि रक्षाबंधन और लाल सिंह चड्ढा दोनों ही फिल्में चलनी चाहिए.
मगर शुक्रवार सुबह बॉक्स ऑफिस के जो आंकड़े सामने आए हैं वह उम्मीदों से बहुत पीछे हैं. जहां आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा ने 11.50 करोड़ रुपए का ओपनिंग कलेक्शन किया, वहीं अक्षय कुमार की ही रक्षाबंधन ने पहले दिन 8.20 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया. यह कलेक्शन निश्चित रूप से उम्मीदों से कहीं पीछे है. अक्षय कुमार के करियर में रक्षाबंधन की ओपनिंग सबसे कम है. 2015 के बाद से अक्षय की सिर्फ एक ही फिल्म “बेल बाटम” का ओपनिंग कलेक्शन 2 अंकों में जाने से पीछे रह गया था.
लगभग 10 साल के बाद अक्षय कुमार का सबसे ठंडा स्वतंत्रता दिवस फिल्म रक्षाबंधन के साथ रहा है. इससे पहले 2012 में अक्षय की फिल्म “जोकर” ने 5 करोड़ का कलेक्शन किया था ओपनिंगडे में. दूसरी तरफ बात करें तो फिल्म रक्षाबंधन और लाल सिंह चड्ढा दोनों के पास अच्छा कलेक्शन करने का अभी और समय बचा हुआ है, लेकिन दोनों फिल्मों को लेकर जिस तरह सोशल मीडिया पर नेगेटिव माहौल बना है उसे देखते हुए इनका धमाकेदार कलेक्शन करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है.
लाल सिंह चड्ढा (Lal Singh Chaddha)
आमिर खान की “लाल सिंह चड्ढा” की बात की जाए तो यह फिल्म हिंदी सिनेमा के सफर का एक प्रशंसनीय दस्तावेज दिखाई दे रही है. पंजाब से आया एक बच्चा दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के सामने अपने परिवार के साथ फोटो खींचा रहा है और पीछे से गोलियों के चलने की आवाजें आने लगती है. वापस अपने गांव जाने के लिए मां के साथ निकले इस बच्चे के सामने ही उसके ऑटो वाले को पेट्रोल छिड़ककर ज’ला दिया जाता है. मां अपने बच्चे को लेकर दुकानों की ओट में छिपी है और वही गिरे कांच के टुकड़े उठाकर अपने बेटे की जुड़ी खोल कर उसके बाल काट देती है.
देश में बीते 50 साल की घटनाओं को एक प्रेम कहानी के जरिए कैद करती आमिर खान की नई फिल्म लाल सिंह चड्ढा सोशल मीडिया के उन सुरवीरों के निशाने पर आई है जिन्हें किसी भी खान एक्टर की फिल्म से नफरत है. एक फिल्म बनती है और चलती है तो मुंबई के हजारों परिवारों के घर चूल्हा जलने की गारंटी बनती है. चंद लोगों से जुड़े लोग अगर पूरी फिल्म इंडस्ट्री का ऐसे ही बहिष्कार से तमाशा बनाना चाहे तो अलग बात है, नहीं तो फिल्म लाल सिंह चड्ढा हिंदी सिनेमा के सफर का एक प्रशंसनीय दस्तावेज है, जिसे देखकर हर उस इंसान को रोना आ जाएगा जिसने जीवन में एक बार भी मोहब्बत की है.
4 साल पहले रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म “ठग्स ऑफ हिंदुस्तान” का जब बॉक्स ऑफिस पर बुरा हाल हुआ तो इल्जाम आमिर खान पर आया कि पूरी फिल्म तो उन्होंने अपने हिसाब से ही बनाई है. आमिर अपनी फिल्मों के अघोषित निर्देशक होते हैं, यह बात सब जानते हैं और यहां फिल्म लाल सिंह चड्ढा देते समय भी यह बात बार-बार याद आती रहती है कि आमिर इस फिल्म में सिर्फ अभिनेता ही नहीं बल्कि इसके निर्माता और अघोषित निर्देशक भी हैं. आमिर खान की इस नई रिलीज हुई फिल्म के हर फ्रेम पर आमिर खान की छाप दिखाई देती है. कहानी बीते सदी के आठवें दशक से शुरू होकर मौजूदा दौर तक आती है.
इस फिल्म में क्रिकेट विश्व कप में मिली पहली जीत को भी दिखाया गया है, ऑपरेशन ब्लू स्टार भी है, इंदिरा गांधी की ह’त्या भी है, उनके अंतिम संस्कार में राजीव गांधी को भी दिखाया गया है. बाबरी विध्वंस है, लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा है, मुंबई के धमाके भी हैं. अबू सलेम और मोनिका बेदी की कथित प्रेम कहानी है और वाराणसी के घाटों पर लिखा नारा “अबकी बार मोदी सरकार” भी है.
जब इतिहास आमिर खान पर कुछ लिखेगा तो उनकी गिनती उसमें ऐसे फिल्मकार के तौर पर करेगा जिसने पर्दे पर किरदार जैसा दिखने का हिंदी सिनेमा में चलन शुरू किया. यहां भी वह आमिर खान किसी कोने से नहीं दिखते. शुरू के दृश्यों में भले उनके किरदार में पीके की झलक मिलती है लेकिन एक बार लाल को अपना कमाल समझ आता है तो फिल्म का ग्राफ ही बदल जाता है. बीते 50 साल की महत्वपूर्ण घटनाओं को पेज दर पेज समेटती फिल्म लाल सिंह चड्ढा को देखना सिनेमा को समझने के लिए जरूरी है. आमिर खान की कमाल की अभिनय क्षमता इस फिल्म की आत्मा है.
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan)
जहां तक अक्षय कुमार की फिल्म “रक्षाबंधन” का सवाल है तो अक्षय इस फिल्म को अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानते हैं. हिमेश रेशमिया ने भाई बहन के प्यार को लेकर अच्छा संगीत दिया है. अक्षय कुमार को अब समझ आने लगा है कि एक्शन हीरो की जगह अब उनकी जगह हिंदी सिनेमा में वैसी ही फिल्मों में हो सकती है जैसे कभी जितेंद्र ने अपने करियर की दूसरी इनिंग में बनाई थी. मल्टीस्टारर फिल्म सूर्यवंशी को छोड़ दिया जाए तो अक्षय कुमार की पिछली पांच फिल्में कुछ खास कमाल नहीं कर पाई है. अक्षय इनकम टैक्स भी सबसे ज्यादा देते हैं, लेकिन जिन फिल्मों से उनको यह इनकम होती रही है उनका हश्र बॉक्स ऑफिस पर अच्छा नहीं रहा है पिछले कुछ सालों में.
अक्षय कुमार ने इस फिल्म में चार बहनों के बड़े भाई का किरदार निभाया है. अगर यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब होती है तो बॉलीवुड के लिए शुभ संकेत होगा. दक्षिण भारतीय सिनेमा की नकल करने के लिए उत्सुक हिंदी सिनेमा के फिल्मकारों को उत्तर भारत के रस में रंगी ऐसी ही कहानियों की जरूरत है जो हिंदीभाषी राज्यों के दर्शकों को अपनी सी लगे. बनावट इस क्षेत्र के दर्शकों को नहीं भाता. अक्षय कुमार की यह नई फिल्म कहानी के हिसाब से शानदार है. दर्शक इस फिल्म पर कितना प्यार लुटाते हैं यह आने वाले कुछ दिनों में दिखाई दे जाएगा.