अडानी ग्रुप (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) ने जयपुर में हुई इन्वेस्ट राजस्थान समिट में 60 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट के साथ ही 2 जिलों में मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल खोलने और उदयपुर में क्रिकेट स्टेडियम खोलने की बड़ी घोषणा की है. इस समिट में कई उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित गौतम अडानी और राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की तस्वीरों ने किया. गौतम अडानी ने कहा कि आज मैं इनवेस्ट राजस्थान में आ कर बहुत खुश हुआ हूं.
उन्होंने कहा कि हमने 60000 करोड रुपए के इन्वेस्टमेंट की घोषणा की है. साथ-साथ में जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात हुई तो हमने 2 प्रस्ताव पर मंजूरी दी है. 2 मेडिकल कॉलेज राजस्थान में खोले जाएंगे. जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं है वहां सिविल हॉस्पिटल के साथ में मेडिकल कॉलेज खोलकर हम योगदान दे सकते हैं, उस पर सहमति बनी है. उदयपुर में क्रिकेट स्टेडियम के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी से बात हुई है. हम उस स्टेडियम को बनाने के लिए पूरा सहयोग देंगे.
गौतम अडानी सवालों के घेरे में क्यों हैं?
यह तो हुई राजस्थान के मुख्यमंत्री और गौतम अडानी की राजस्थान में हुई मुलाकात को लेकर बात. लेकिन असल सवाल यह है कि जिस उद्योगपति का नाम लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपनी चुनावी रैलियों में मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं, उस उद्योगपति के साथ कांग्रेस के ही नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुलाकात और राजस्थान में इन्वेस्टमेंट की घोषणा के बाद जिस तरीके का हंगामा बरप रहा है उससे इतना तो निश्चित है कि राहुल गांधी से कई तरह के सवाल पूछे जाएंगे और राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार पर किए जा रहे हमलों पर उन पर पलटवार भी होगा.
दरअसल कोई भी बड़ा उद्योगपति किसी भी राज्य में अपने उद्योगों को बढ़ाना चाहता है तो इसमें कोई भी बुराई नहीं है. इससे उस राज्य के स्थानीय लोगों को फायदा ही होता है. लेकिन जिस तरीके से गौतम अडानी और मुकेश अंबानी का नाम लेकर राहुल गांधी अपनी चुनावी सभाओं में तथा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं उससे अब विरोधियों को राहुल गांधी पर सवाल दागने का मौका मिल गया है. यह भी कहने का मौका मिल गया है कि राहुल गांधी की बातों को उन्हीं की पार्टी के नेता और उन्हीं की पार्टी की सरकारें नहीं मान रही हैं. या फिर राहुल गांधी की बातों में विश्वसनीयता नहीं है. तो क्या सच में राहुल गांधी द्वारा देश के दो बड़े उद्योगपतियों का नाम लेकर किया जा रहा विरोध गलत है?
देश के दो बड़े उद्योगपतियों के खिलाफ राहुल गांधी के हमले गलत हैं?
राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी सरकार सिर्फ अडानी और अंबानी के लिए काम करती है. देश की जनता गरीब होती जा रही है लेकिन देश के दो बड़े उद्योगपतियों की संपत्ति बढ़ती जा रही है. जहां तक गौतम अडानी का सवाल है, बिल्कुल अगर उनके बिजनेस में बढ़ोतरी होती है तो उससे देश की जनता को ही लाभ होता है. उनका बिजनेस बड़ा हो रहा है और दुनिया के टॉप बिजनेसमैन में उनकी गिनती हो रही है तो यह देश के लिए अच्छी बात है. लेकिन राहुल गांधी का विरोध बिल्कुल भी गलत नहीं है. क्योंकि मोदी सरकार जब से आई है तभी से गौतम अडानी की संपत्तियों में लगातार इजाफा हुआ है.
राहुल गांधी का कहना यह है कि सिर्फ दो चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए ही मोदी सरकार काम कर रही है. राहुल गांधी की बातों पर अगर गौर किया जाए तो वह उद्योगपतियों के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है. लेकिन मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के अलावा भी इस देश में कई उद्योगपति हैं. लेकिन कोई भी बड़ा सरकारी कॉन्ट्रैक्ट उन्हें नहीं मिलता. किसी भी बड़े प्रोजेक्ट में इन उद्योगपतियों को छोड़कर किसी का भी नाम दिखाई नहीं देता. राहुल गांधी इसी बात का विरोध कर रहे हैं कि मौजूदा मोदी सरकार सिर्फ दो लोगों के लिए काम कर रही है.
2014 के बाद से गौतम अडानी की संपत्तियों में लगातार इजाफा हुआ है और गौतम अडानी ने बड़े स्तर पर सरकारी बैंकों से लोन भी ले रखे हैं. राहुल गांधी इसी बात का विरोध लगातार करते आए हैं कि देश की जनता लगातार गरीब हो रही है. छोटे-मोटे लोन के लिए बैंक देश की गरीब जनता को परेशान करती हैं. छोटे-छोटे किसानों को लोन ना चुकाने के एवज में बैंकों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है. लेकिन गौतम अडानी ने इतने बड़े स्तर पर लोन ले रखा है और उसके बाद भी उन्हें बैंक लोन दिए जा रहे हैं और एक के बाद एक वह सरकारी प्रोजेक्ट खरीदते जा रहे हैं. राहुल गांधी इसी बात का विरोध कर रहे हैं.
गौतम अडानी का विदेशों में भी हो चुका है विरोध
2018 में गौतम अडानी के आस्ट्रेलिया में प्रस्तावित कोयला खान प्रोजेक्ट का कई महीनों तक विरोध हुआ था. कारमाइकल कोयला खान उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड राज्य में है और गौतम अडानी का ऑस्ट्रेलिया में बड़े स्तर पर विरोध हुआ था, प्रदर्शन हुए थे. कानूनी लड़ाईयों के चलते कई सालों की देरी भी हुई थी इस प्रोजेक्ट में. पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस परियोजना के विरोध में ‘स्टॉप अडानी’ नाम का एक अभियान भी शुरू किया था. इसके चलते निवेशकों, बीमा कंपनियों और बड़े इंजीनियरिंग फर्मों ने प्रोजेक्ट से अपने हाथ भी खींच लिए थे और इसका असर परियोजना पर भी हुआ था.
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान गौतम अडानी की नरेंद्र मोदी से करीबी ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी को अडानी ग्रुप के चार्टर्ड प्लेन से दौरा करते कई बार देखा गया था. हालांकि गौतम अडानी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्टीकरण दिया था कि भारतीय जनता पार्टी ने चार्टर्ड प्लेन का इस्तेमाल करने के लिए कंपनी को पैसे दिए थे. गुजरात में अडानी ग्रुप का कारोबार काफी बड़ा है. अडानी ग्रुप गुजरात में मुंद्रा पोर्ट का संचालन भी करता है जो पिछले कुछ महीनों से अवैध ड्रग्स को लेकर लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.
कांग्रेस के नेता ही राहुल गांधी की बातों के खिलाफ माहौल बना रहे हैं?
राहुल गांधी लगातार अडानी और अंबानी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. दूसरी तरफ इन्हीं 2 उद्योगपतियो से नजदीकियां कांग्रेस नेताओं की भी देखी जा रही हैं. राजस्थान में अगर गौतम अडानी ने निवेश किया है तो इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन क्या राजस्थान में ऐसा माहौल कांग्रेस की सरकार ने पिछले 5 साल में नहीं तैयार किया है कि वह गौतम अडानी के अलावा किसी दूसरे उद्योगपति को भी राजस्थान में निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकें?
इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार भी गौतम अडानी को लेकर सवालों के घेरे में हैं. आदिवासी क्षेत्र में जंगल काटे जा रहे हैं और बताया जा रहा है कि यह सब कुछ भी गौतम अडानी के लिए ही हो रहा है. तो क्या कांग्रेस के नेता ही राहुल गांधी की बातों को गलत साबित करके उनके खिलाफ माहौल बनाने का मौका बीजेपी को दे रहे हैं? क्या देश के दूसरे उद्योगपतियों को निवेश करने के लिए राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकार प्रेरित नहीं कर पा रही है, उन्हें वह माहौल नहीं दे पा रही है या फिर मदद नहीं दे पा रही है?