अगले साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके मद्देनजर केंद्र की बीजेपी सरकार कमजोर सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत करने में अभी से जुट गई है. वहीं राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा समापन के कगार पर पहुंच गई है. कुछ क्षेत्रीय राजनीतिक दल भी प्रधानमंत्री मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए अपनी अपनी रणनीति को अंजाम देने में लग गए हैं. तो सवाल यहां पर यह उठता है कि क्या कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने की स्थिति में है?
अगले लोकसभा चुनाव से पहले 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है और पूर्वोत्तर के 3 राज्यों में तो चुनाव की घोषणा भी हो चुकी है. ऐसे में देश के राजनीतिक परिदृश्य पर कई तरह के सवाल तैर रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्वोत्तर के तीन चुनावी राज्यों में त्रिपुरा एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी सीधे और महत्वपूर्ण लड़ाई में है. जहां उसका मुकाबला वामपंथी दलों और कांग्रेस से है.
मेघालय और नगालैंड में विभिन्न स्थानीय दलों की भूमिका अहम है. जहां तक राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बात है तो यहां सीधा मुकाबला बीजेपी का कांग्रेस से है. कर्नाटक में जनता दल और कांग्रेस का गठबंधन होगा या नहीं, यह अभी देखना बाकी है. अगर जनता दल से कर्नाटक में कांग्रेस का गठबंधन नहीं होता है तो कर्नाटक में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. अगर देखा जाए तो कोई भी दल चुनावी राज्यों में लाभ की स्थिति में नहीं है. लेकिन चुनावी राज्यों के नतीजे 2024 से पहले स्थिति स्पष्ट करने के लिए काफी होंगे.
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लेकिन वही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कई शोध में यह बात सामने आई है कि विधानसभा चुनाव में लोगों के मुद्दे अलग होते हैं, जबकि लोकसभा चुनाव में अलग. इसलिए यह जरूरी नहीं है जो ट्रेंड विधानसभा चुनाव में देखने को मिले वहीं लोकसभा चुनाव में भी जारी रहेगा.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा समापन पर है. इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा से दो चीजें हुई हैं. एक तो यह कि निश्चित तौर पर राहुल गांधी की छवि बदली है. इससे कांग्रेस को कुछ फायदा जरूर मिलेगा. कांग्रेस ने पहले भी राहुल गांधी को अपने नेता के रूप में आगे किया है. लेकिन उनकी लोकप्रियता प्रधानमंत्री मोदी के आगे मीडिया के माध्यम से कहीं अधिक दिखाई जाती है. तो सीधा सा मतलब है कि इस यात्रा के बाद मीडिया प्रधानमंत्री मोदी की तरह राहुल गांधी को अपने प्लेटफार्म पर अधिक दिखाएगी ऐसा नहीं कहा जा सकता.
हां जनता के बीच राहुल गांधी की लोकप्रियता काफी बढ़ी है. इस यात्रा से राहुल गांधी ने महंगाई तथा बेरोजगारी और इसके अलावा अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दे जो देश को प्रभावित करते हैं, उन को सुर्खियों में ला दिया है. एक फर्क यह भी आएगा कि जो राजनीतिक दल कांग्रेस को अभी तक हल्के में ले रहे थे उसे और गंभीरता से लेंगे.
इसके अलावा अगर 2024 लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव बीजेपी के खिलाफ एक राष्ट्रीय गठबंधन खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन यह क्या कांग्रेस के बिना कारगर होगा? इसको लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के बगैर किसी ऐसे गठबंधन की संभावना नहीं देखी जा सकती. क्योंकि कई राज्यों में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस एक प्रमुख ताकत है. कांग्रेस भले ही चुनाव हार रही हो लेकिन कई अन्य राज्यों में आज भी उसकी अच्छी खासी मौजूदगी है और भारत जोड़ो यात्रा के बाद इसका असर व्यापक होगा.
विपक्षी एकता के नाम पर क्षेत्रीय दल कांग्रेस को दरकिनार करने की कोशिश में लगे हुए हैं. लोकसभा चुनाव में अभी लंबा वक्त है. इसलिए क्षेत्रीय दलों की जो एकता इस वक्त दिखाई दे रही है वह सिर्फ कागजों में है. क्योंकि जब भी यह क्षेत्रीय दल कांग्रेस के बगैर गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरेंगे तो देखना यह होगा कि जनता उन्हें किस रूप में लेती है. क्या जनता भी ऐसा मानती है कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस की जरूरत नहीं है? क्या जनता ऐसी स्थिति में कांग्रेस को अपना वोट एकतरफा नहीं देगी? यह भी देखने वाली बात होगी.