mahua moitra

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में अडानी के कारोबार का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. राहुल गांधी के सांसद के भाषण पर प्रधानमंत्री मोदी का जवाब भी आ चुका है. हालांकि उन्होंने राहुल गांधी द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया. राहुल ने गौतम अडानी के कारोबार में 2014 के बाद जादुई उछाल पर सवाल खड़ा किया है. राहुल ने यह भी पूछा है कि प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरों के बाद गौतम अडानी वहां क्यों गए?

अगर देखा जाए तो शुरू में पूरा विपक्ष कांग्रेस के साथ मोदी सरकार को संसद में घेरने की रणनीति पर काम कर रहा था. लेकिन कांग्रेस की एक जिद के कारण कईयों ने रास्ता अलग कर लिया और ऐसा करने वालों में जो पहली पार्टी सामने आई वह है ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस. क्षेत्रीय दलों की विचारधारा को लेकर राहुल गांधी के अलग स्टैंड के बावजूद अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ 16 दलों के नेता नजर आए थे. संसद में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के चेंबर में हुई विपक्षी दलों की मीटिंग इस बात का सबूत है.

अब यह तो कोई छिपी हुई बात नहीं है कि गौतम अडानी के मुद्दे पर राहुल गांधी के विरोध के तरीके से ममता बनर्जी ने अपने को अलग कर लिया है. लेकिन ऐसी बातों का टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है. संसद में अडानी के मुद्दे पर महुआ मोइत्रा और ममता बनर्जी का रुख एक जैसा तो बिल्कुल नहीं लगता. अडानी के मुद्दे पर महुआ मोइत्रा पहले की ही की तरह डटी हुई नजर आ रही हैं.

महुआ मोइत्रा के मुंह से गौतम अडानी पर वैसे ही बातें सुनने को मिल रही है जैसी बातें राहुल गांधी करते रहे हैं. लोकसभा में महुआ मोइत्रा भी आरोप लगा रही थी अगर विपक्ष का कोई नेता सदन में बोलता है तो सत्ता पक्ष वाले लोग उसे बोलने नहीं देते. हम न चीन बोल सकते हैं, न बीबीसी, न मोरबी न रॉफेल. यहां तक कि मोदी जी का नाम भी नहीं ले सकते.

जिस तरह से गौतम अडानी के मुद्दे पर संसद में और संसद के बाहर महुआ मोइत्रा की सक्रियता नजर आ रही है और ठीक वह राहुल गांधी की बातों को ही आगे बढ़ा रही हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि टीएमसी नेता राहुल गांधी के साथ ‘मोहब्बत की दुकान’ खोलने की तैयारी कर रही हैं? सिर्फ संसद ही नहीं राजनीति में बवाल काटने की बात होगी तो महुआ मोइत्रा अपनी नेता ममता बनर्जी से एक कदम भी पीछे नजर नहीं आती हैं.

फिलहाल यही दिखाई दे रहा है कि महुआ मोइत्रा पूरी तरह ममता बनर्जी से अलग स्टैंड लेकर आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है. ममता एक बार महुआ मोइत्रा को सार्वजनिक मंच पर डांट भी चुकी हैं और अपनी हदों को समझने और उसी में रहने की नसीहत भी दे चुकी हैं. बीच में भी कुछ ऐसे हालात देखे गए जिनसे लगा कि ममता बनर्जी को महुआ मोइत्रा का स्टैंड पसंद नहीं आ रहा है. कुछ दिनों से यह भी देखा जा रहा है कि ममता बनर्जी मोदी सरकार के प्रति सॉफ्ट स्टैंड लेकर चल रही हैं.

पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी कांग्रेस से काफी दूर और बीजेपी के कुछ-कुछ करीब भी नजर आई हैं. ऐसे में महुआ मोइत्रा जो कुछ कर रही हैं वह ममता बनर्जी की शह पर हो रहा है या उनकी हिदायत ओं की अनदेखी करके? अगर महुआ मोइत्रा को ममता बनर्जी का सपोर्ट हासिल नहीं है, तब तो साफ है कि वह किसी नई राजनीतिक राह की तलाश में है. खास बात यह है कि महुआ मोइत्रा ने जो राजनीतिक राह अपनाई है वह राहुल गांधी को बहुत पसंद भी है.

देश में जो भी नेता सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने की हिम्मत रखता है राहुल गांधी उसे निडर नेता मानते हैं. राहुल के लिए तो महुआ मोइत्रा में वरुण गांधी जैसी विचारधारा की कंडीशन भी नहीं दिखती. मतलब वह बड़े आराम से कांग्रेस का रुख कर सकती हैं और अगर ऐसा हुआ तो राहुल एक तरीके से सुष्मिता देव और लुइईजिन्हो फैलेरियो जैसे नेताओं को कांग्रेस से झटक लेने का ममता बनर्जी से बदला भी ले सकते हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here