आखिर ईडी की ऐसी कौन सी उपस्थिति है जिसके आगे देश का बौना नजर आने लगा है? संसद में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुनने के बाद ऐसा ही कुछ महसूस हो रहा है. हो सकता है कुछ लोगों को इस बात में कुछ भी गलत नहीं लगा हो. लेकिन ऐसा भी तो नहीं है कि हर किसी की सोच एक जैसी ही हो. हो सकता है कुछ लोग सुनकर नजर अंदाज कर दिए हो. यह भी हो सकता है कि कुछ लोगों को समझ में नहीं आया हो. यह भी तो हो सकता है कि कुछ लोग समझना ही नहीं चाहते हो. ऐसे अलग-अलग लोग हो सकते हैं और ऐसे अलग-अलग सोचने का भी सबको हक हासिल है.
प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधने के चक्कर में कहीं ना कहीं वोटरों का ही अपमान कर दिया है! प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जो काम देश का मतदाता नहीं कर सका, वह ईडी ने कर दिया है. उन्होंने यह बात उस वक्त कही जब वह बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे. यह तो औपचारिक बातें हुई. असल में राहुल गांधी ने संसद के अंदर गौतम अडानी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल कर रहे थे. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उनके सवालों का जवाब नहीं दिया.
प्रधानमंत्री मोदी का संसद में दिया गया पूरा भाषण सुनकर तो ऐसा लग रहा था जैसे वह रेडियो की जगह लाइव टीवी पर मन की बात कर रहे हैं या फिर चुनावी साल में एक साथ कई रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. बातें तो करीब-करीब वैसी ही रही जैसे वह राजस्थान के दौरे में कह रहे हैं या फिर त्रिपुरा में कह चुके हैं या फिर कर्नाटक जाने पर पहनने वाले हैं. आखिर देश के वोटरों की तपस्या में ऐसी क्या कमी रह गई है जो उनका योगदान मोदी को ईडी के मुकाबले कम लगने लगा है?
सरकार कोई भी हो उसकी तरफ से कहा तो यही जाता है कि पुलिस और जांच एजेंसियां अपने हिसाब से काम करती हैं. लेकिन वक्त और पोजीशन बदलने के साथ ही यह बातें भी अब छोटी लगने लगी है. प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कहा कि आने वाले दिनों में दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटीज में इस बात पर रिसर्च और स्टडी होगी कि कांग्रेस की बर्बादी कैसे हुई और इसी फ्लो में आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि इन दलों को ईडी का धन्यवाद करना चाहिए, क्योंकि उसकी वजह से यह सभी दल एक मंच पर आ गए हैं… एकजुट हो गए हैं.
और फिर प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने वाली एजेंसियों के बारे में बहुत कुछ कहा गया और कई लोग उनके सुर में सुर मिला रहे थे. पहले लगता था कि देश की जनता का फैसला.. चुनावी नतीजा इन्हें एक मंच पर ला देगा.. लेकिन जो कम देश के मतदाता नहीं कर सके वह काम ईडी नगर दिया. प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से यह सुनकर तो देश की जनता का योगदान ईडी के कंट्रीब्यूशन के आगे फीका लगने लगा है.