कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) चुनाव लड़ेंगे या नहीं इसको लेकर तस्वीर अभी साफ नहीं है. इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने अपने विधायकों की बीती रात बैठक बुलाई थी, जहां उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि राहुल गांधी के चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में वह कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे.
राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठ रही है और कई राज्यों की कांग्रेस यूनिट ने उनके पक्ष में प्रस्ताव पास किया है. लेकिन अभी तक राहुल गांधी की तरफ से अध्यक्ष पद के लिए होने जा रहे चुनाव पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं. कांग्रेस विधायकों की बैठक में अशोक गहलोत ने कहा कि वह पार्टी के एक वफादार सदस्य हैं और नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा वह उसका पालन करेंगे.
उन्होंने कहा कि वह बुधवार को दिल्ली में सोनिया गांधी से मिलेंगे और राहुल गांधी से मिलने के लिए केरल जाएंगे और उन्हें एक आखरी बार चुनाव लड़ने और कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में वापस आने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे. अगर राहुल गांधी ने अपना मन नहीं बदला तो वह वही करेंगे जो पार्टी उनसे करने के लिए कहेगी. अशोक गहलोत ने नामांकन पत्र दाखिल करने की स्थिति में सभी विधायकों को दिल्ली आने का न्योता भी दिया है. नामांकन पत्र दाखिल करने की शुरुआत 24 सितंबर 2022 को होगी.
बताया जा रहा है कि गहलोत 26 सितंबर के बाद अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं. अशोक गहलोत ने विधायकों से यह भी कहा है कि वह कभी राजस्थान से दूर नहीं रहेंगे, लेकिन पार्टी ने जो अभी तक कहा है कभी मना नहीं किया. इसलिए अगर पार्टी कहती है तो वह अध्यक्ष पद के लिए नामांकन जरूर करेंगे. माना जा रहा है कि अशोक गहलोत तभी अपना नामांकन करेंगे जब राहुल गांधी अध्यक्ष ना बनने के अपने फैसले पर अड़े रहे.
आपको बता दें कि आखरी बार सीताराम केसरी के रूप में एक गैर गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे, जिनसे सोनिया गांधी ने मार्च 1998 में पार्टी की कमान अपने हाथों में ली थी. यह वह समय था जब कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही थी. राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने राजनीति से दूरी बना रखी थी. लेकिन 1998 में उन्होंने पार्टी का कामकाज संभाला नेताओं के निवेदन पर और उसके बाद साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलवाई थी.
सचिन पायलट का क्या होगा?
आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद की दावेदारी में नजर आ रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने राज्य का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं. खबर है कि उन्होंने आलाकमान के सामने प्रदेश और पार्टी दोनों की कमान साथ में संभालने की बात रखी है. हालांकि इसे लेकर आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के ऐलान के बाद से ही अशोक गहलोत का नाम चर्चा में आ गया था.
दूसरी तरफ बात करें तो राजस्थान के अंदर सचिन पायलट और अशोक गहलोत खेमे के बीच मनमुटाव जगजाहिर है. कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद दोनों नेताओं में सुला तो हो गई थी लेकिन खटास बरकरार है. दोनों नेताओं के समर्थक एक दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं. राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में है. सचिन पायलट को मुख्यमंत्री ना बनाने से कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान इसके बारे में लोग अपने अनुसार बयानबाजी करते रहते हैं. लेकिन बताया जा रहा है कि अशोक गहलोत के कांग्रेस प्रेसिडेंट बनने की सूरत में सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बन सकते हैं.