Share Market Update: शेयर मार्केट (Share Market) के निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए सेबी (SEBI) की तरफ से समय-समय पर अहम फैसले लिए जाते हैं. अब सेबी की ओर से एक और अहम कदम उठाया गया है और जुर्माना भी लगाया गया है.
पूंजी बाजार नियामक (Capital Markets Regulator) सेबी ने नियामक मानदंडों के उल्लंघन के लिए दो कंपनियों और प्रमोटर्स सहित सात व्यक्तियों पर कुल 2.46 करोड रुपए का जुर्माना लगाया है.
नियामक ने गिरीश तलवलकर, प्रशांत तलवलकर, मधुकर तलवलकर, विनायक गावंड़े, अनंत गावंडे, हर्ष भटकल और गिरीश नायकों को भी अलग-अलग अवधि के लिए प्रतिबंधित कर दिया है.
वहीं दो कंपनियां तलवलकर्स बेटर वैल्यू फिटनेस लिमिटेड (टीबीवीएफएल) और तलवलकर्स हेल्थक्लब लिमिटेड (THL) है. प्रशांत तलवलकर, मधुकर तलवलकर, गिरीश तलवलकर, विनायक गावंडे, अनंत गावंडे, हर्ष भटकल प्रमोटर हैं.
दो अलग-अलग आदेशों के अनुसार जुर्माना प्रकटीकरण मानदंडों और पीएफयूटीपी से संबंधित उल्लंघनों के लिए लगाया गया है. नियामक ने गिरीश तलवलकर, प्रशांत तलवलकर, अनंत गावंडे और हर्ष भटकल प्रत्येक पर 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, टीबीवीएफएल, विनायक गावंडे और मधुकर तलवलकर प्रत्येक पर 24 लाख रुपये, गिरीश नायक पर 18 लाख रुपये और टीएचएल पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगा है.
टीबीवीएफएल के मामले में नियामक ने गिरीश तलवलकर, प्रशांत तलवलकर, मधुकर तलवलकर, विनायक गावंडे, अनंत गावंडे, हर्ष भटकल और गिरीश नायक पर 18 महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से बैन लगा दिया और उन्हें किसी भी लिस्टेड कंपनी या उसी अवधि के लिए किसी सेबी-पंजीकृत मध्यस्थ से जुड़े रहने से रोक दिया.
इसके अलावा सेबी ने टीएचएल के मामले में गिरीश तलवलकर, प्रशांत तलवलकर, अनंत गावंडे, हर्ष भटकल और गिरीश नायक को 18 महीने की अवधि के लिए बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है और उन पर लगाए गए प्रतिबंध की अवधि समाप्त होने के बाद ये प्रतिबंध शुरू होगा.
सेबी को अगस्त-अक्टूबर 2019 के दौरान टीएचएल और टीबीवीएफएल के खिलाफ कई शिकायतें मिलने के बाद यह आदेश आया. शिकायतों में महत्वपूर्ण नकदी शेष के बावजूद टर्म लोन पर ब्याज के भुगतान में चूक का संकेत दिया गया.
मार्च 2019 को समाप्त वित्तीय परिणामों के अनुसार, दोनों कंपनियों (टीबीवीएफएल और टीएचएल) के पास कुल नकद शेष लगभग 77 करोड़ रुपये था और जुलाई 2019 तक ब्याज भुगतान पर कुल डिफॉल्ट केवल ₹3.5 करोड़ (टर्म लोन) था, जिससे उनके हिसाब-किताब की प्रामाणिकता पर संदेह पैदा हो गया.
नियामक ने प्रारंभिक जांच के बाद मामले को विस्तृत जांच के लिए लिया और चार वित्तीय वर्षों (2016-17 से 2019) के लिए टीबीवीएफएल और टीएचएल दोनों के खातों की फोरेंसिक जांच करने में जांच प्राधिकारी की सहायता के लिए केपीएमजी को फोरेंसिक ऑडिटर के रूप में नियुक्त किया गया था.
इसके बाद सेबी ने कंपनियों की जांच शुरू की जब संदेह हुआ कि निवेशकों को एक स्वस्थ तस्वीर प्रदान करने के लिए उनकी वित्तीय स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा था.