G20 Summit Delhi: भारत से पहले 2022 में इंडोनेशिया ने 374 करोड रुपए खर्च कर G20 समिट की मेजबानी की थी. 2008 में आया आर्थिक संकट पूरी दुनिया को याद है. इससे ठीक 11 साल पहले 1997 में एशिया में भी एक आर्थिक संकट आया था. इसे एशियाई फाइनेंशियल क्राइसिस के नाम से भी जाना जाता है. यह संकट थाईलैंड से शुरू होकर एशिया के दूसरे देशों में भी फैल गया.
मंदी की वजह से आसियान देश पर उनकी जीडीपी की तुलना में 167% तक कर्ज बढ़ गया. भारी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए. क्राइसिस के शुरुआती 6 महीना में ही इंडोनेशिया की करेंसी की कीमत 80% और थाईलैंड की करेंसी की कीमत डॉलर की तुलना में 50% तक गिर गई.
इसका असर विकसित देशों पर ना पड़े इसके लिए G7 देश ने एक बैठक की और एक ऐसा मंच तैयार करने का फैसला किया जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों को डिस्कस किया जा सके. तब G20 की शुरुआत हुई. उन देशों की पहचान की गई जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी या जिनमें तेजी से बढ़ाने की कैपेसिटी थी. सभी को एक मंच पर लाया गया.
2007 तक केवल सदस्य देशों के वित्त मंत्री इसकी बैठकों में शामिल होते थे. हालांकि 2007 और 2008 में पश्चिमी और धनी देशों में आई फाइनेंशियल क्राइसिस ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वह बातचीत को राष्ट्राध्यक्षों के स्तर तक ले जाएं.
उस वक्त से हर साल सभी सदस्य देशों के नेता एक मंच पर आकर अहम मुद्दों को डिस्कस करते हैं. शुरुआत में अमेरिका ने इस बात का विरोध किया था, हालांकि समय की नजाकत को देखते हुए बाद में वह शिकार के सम्मेलन के लिए तैयार हुआ. G20 देशों का पहला शिखर सम्मेलन वॉशिंगटन डीसी में ही हुआ था.
G20 Summit 2023 में भारत इस शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. आज यानी शनिवार को समिट के पहले दिन दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के दिग्गज नेता एक साथ बैठेंगे और वैश्विक मसलों पर मंथन करेंगे. दिल्ली में भारत मंडपम में कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली गई है. यह समिट दो दिन चलेगा.
G20 समिट में इस बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के नेताओं का स्वागत किया है. उन्होंने सम्मेलन स्थल पर भारत के दक्षिण पूर्व एशियाई और पूर्वी एशियाई पड़ोसियों के राष्ट्राध्यक्षों का गर्भ जोशी से स्वागत किया है.