इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इस वक्त तनाव (Israel Palestine War) अपने चरम पर है. शनिवार को ग़ज़ा से अचानक बड़ा हमला हुआ इजरायल पर. इजरायल की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई की गई. इजरायल पर हुए हमले की जिम्मेदारी हमास ने ली है. इजरायल पर जितने बड़े पैमाने पर हमास ने हमला किया है उसे अभूतपूर्व कहा जा रहा है.
इजरायल और फिलीस्तीन के बीच पिछले कई दशकों से विवाद चल रहा है. इसे लेकर कई बार युद्ध हो चुका है और युद्ध जैसे हालात भी कई बार पैदा हो चुके हैं. यह विवाद लगभग 100 साल पुराना है, जब यहूदियों के लिए एक अलग देश बनाने की मांग उठी.
साल 1948 में जब इजरायल बना तभी से अरब देशों की इजरायल से बनती नहीं थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि यूनाइटेड नेशन का टू स्टेट प्लान कभी अमल में नहीं लाया जा सका. संयुक्त राष्ट्र ने यह प्लान फिलिस्तीन और इजरायल का विवाद खत्म करने के लिए बनाया था, जिसमें यहूदियों के लिए इजरायल और फिलिस्तीनियों के लिए फिलिस्तीन का प्रावधान था. फिलिस्तीनियों ने इजरायल से कई बार युद्ध लड़ा और जब-जब युद्ध हुआ हर युद्ध में इजरायल भौगोलिक तौर पर अपना आकार बढ़ता गया.
Israel Palestine War की जड़?
दरअसल पूरा विवाद जमीन का है. यहूदियों का मानना है कि आज जहां इजराइल बसा हुआ है यह वही इलाका है जो ईश्वर ने उनके पहले पूर्वज अब्राहम और उनके वंशजों को देने का वादा किया था. पुराने समय में इस इलाके पर असीरियों ( इराक, ईरान, तुर्की और सीरिया में रहने वाले कबायली लोग ) बेबीलोन, पर्शिया मकदुनिया और रोमन लोगों का हमला होता रहता था.
रोमन साम्राज्य में इस इलाके को फिलिस्तीन नाम दिया गया था और ईशा के सात दशकों बाद यहूदी लोग इस इलाके से बेदखल कर दिए गए. इस्लाम के अभ्युदय के साथ सातवीं सदी में फिलीस्तीन अरबों के नियंत्रण में आ गया और फिर यूरोपीय हमलावरों ने इस पर जीत हासिल की.
साल 1516 में यह तुर्की के नियंत्रण में चला गया और फिर पहले विश्व युद्ध तक ब्रिटेन के कब्जे में जाने तक यथा स्थिति बनी रही.
20वीं सदी की शुरुआत में यूरोप में यहूदियों को निशाना बनाया जा रहा था. इन हालात में यहूदी लोगों के लिए एक अलग देश की मांग जोर पकड़ने लगी. भूमध्य सागर और जॉर्डन नदी के बीच पड़ने वाला फलस्तीन का इलाका मुसलमानों, यहूदियों और ईसाई धर्म, तीनों के लिए पवित्र माना जाता था.
इस इलाके पर ऑटोमन साम्राज्य का नियंत्रण था और यह ज्यादातर अरबों और दूसरे मुस्लिम समुदायों के कब्जे में रहा. इस सब के बीच यहां यहूदी लोग बड़ी संख्या में आकर बसने लगे और स्थानीय लोगों में उन्हें लेकर विरोध शुरू हो गया. पहले विश्व युद्ध के बाद ऑटोमन साम्राज्य का विघटन हो गया और ब्रिटेन को राष्ट्र संघ की ओर से फिलिस्तीन का प्रशासन अपने नियंत्रण में लेने की मंजूरी मिल गई.
द्वितीय विश्व युद्ध और नाजियों के हाथों यहूदियों के व्यापक नरसंहार के बाद यहूदियों के लिए अलग देश की मांग को लेकर दबाव बढ़ने लगा. उस समय यह प्लान बना कि ब्रिटेन के नियंत्रण वाले इलाके को फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच बांट दिया जाएगा.
साल 1947 में संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन को यहूदियों और अरबों के अलग-अलग राष्ट्र में बांटने को लेकर मतदान करवाया गया और यरूशलम को एक अंतर्राष्ट्रीय शायर बनाया गया. इस प्लान को यहूदी नेताओं ने तो स्वीकार कर लिया जबकि अरब पक्ष ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया और यह कभी लागू भी नहीं हो पाया.
1948 में समस्या सुलझाने में असफल होकर ब्रिटेन शासक वापस चले गए. 14 मई 1948 को इजरायल की स्थापना हो गई और इजरायल के गठन के साथ ही एक स्थानीय तनाव क्षेत्रीय विवाद में बदल गया. अगले दिन मिस्र, जॉर्डन, सीरिया और इराक ने इस इलाके पर हमला कर दिया. यह पहला अरब इजरायल संघर्ष था. यहूदियों का इस स्वतंत्रता संग्राम कहा गया था.
इस लड़ाई के खत्म होने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने एक अरब राज्य के लिए आधी जमीन मुकर्रर की. फिलिस्तीनियों के लिए वही त्रासदी का दौर शुरू हो गया. 7.30 लाख फिलिस्तीनियों को भाग कर पड़ोसी देशों में पनाह लेनी पड़ी या फिर यहूदी सशस्त्र बलों ने उन्हें बेदखल कर दिया.
इसके बाद कई बार यहूदियों और अरबों के बीच संघर्ष हुआ. साल 1967 में 6 दिनों तक चला अरब इजरायल संघर्ष एक तरह से आखरी बड़ी लड़ाई थी. उस साल 5 जून से 10 जून के बीच जो कुछ हुआ उसका दीर्घकालिक प्रभाव कई स्तरों पर देखा गया. अरब देशों के सैनिक गठबंधन पर इजरायल को जीत मिली. गजा पट्टी, मिस्र का सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और सीरिया से गोलन पहाड़ी उसके नियंत्रण में आ गए. 5 लाख फिलिस्तीन लोग विस्थापित हो गए.
अब क्या हो रहा है?
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइल पर जो हमला किया है वह इस सदी का सबसे बड़ा अटैक बताया जा रहा है. अल जजीरा टेलीविजन के कार्यक्रम में हमास के प्रवक्ता ने कहा कि इसराइल पर यह हमला मुस्लिम देशों को संदेश है कि वह इजराइल से रिश्ते सामान्य करने का प्रयास बंद कर दें. आपको बता दें कि वेस्टबैंक में कई ऐसे मजहबी स्थल हैं जिन पर यहूदी और इस्लामिस्ट दोनों दावा करते हैं.
ऐसे ज्यादातर क्षेत्रों पर इजरायल का कब्जा है. हमास उन क्षेत्रों को इजराइल से छीनकर इस्लामिक देश बनाना चाहता है. क्योंकि मामला मजहबी है, इसलिए हमास को समर्थन और फंडिंग भी मिल जाती है.