बॉलीवुड के दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) और आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव (Jaggi Vasudev) (सद्गुरु) किसी परिचय के मोहताज नहीं है. दोनों धर्म अध्यात्म संप्रदायिकता से लेकर पर्यावरण जैसे मामलों पर अक्सर अपने विचार रखते रहते हैं. ऐसा ही एक मौका कुछ वक्त पहले आया था जब सदगुरु और जावेद अख्तर थिंक फोरम के मंच पर एक साथ नजर आए. सवाल-जवाब के क्रम में दोनों ने एक दूसरे पर तीखी टिप्पणी भी की थी.
थिंक फोरम के मंच पर मॉडरेटर पत्रकाार शोभा ने जावेद अख्तर से आस्था को लेकर एक सवाल किया. इस पर जावेद अख्तर कहते हैं, किसी भी डिबेट और बातचीत को शुरू करने से पहले शब्दों का सही मतलब समझ लेना चाहिए. हो सकता है फेथ से आप का मतलब कुछ और हो और मैं समझ कुछ और रहा हूं. आस्था (फेथ) और विश्वास (बिलीव) दो अलग-अलग चीजें हैं.
जावेद अख्तर ने कहा, जैसे मैं विश्वास करता हूं कि मैं इस वक्त गोवा में हूं मैं. विश्वास करता हूं कि नार्थ पोल नाम की एक जगह है. मैं विश्वास करता हूं कि ईटोपिया एक गरीब देश है, जर्मनी एक अमीर देश है क्या यह मेरी फेथ हैै? आखिर ऐसा क्यों नहीं है? जावेद अख्तर आगे कहते हैं, मैं आपको बताता हूं कि मेरी फेथ क्यों नहीं है, क्योंकि यह तर्कसंगत है.
जावेद अख्तर को इसी जगह पर सद्गुरु उन्हें टोंकते हुए कहते हैं आप यह विश्वास कर रहे हैं कि आप नागपुर में हैं यह सही में आपकी बिलीव है. लेकिन आप गोवा में हैं, यह सच्चाई है. अब आप इस पर विश्वास करें या ना करें वास्तविकता और बिलीव में फर्क है. अगर आप यह मानते हैं कि आप जिन चीजों पर विश्वास कर रहे हैं वह सही है तो हम आपको किसी भी चीज पर विश्वास दिला सकते हैं. इस पर जावेद अख्तर बीच में टोंकते हुए कहते हैं मैं इसका जवाब दूंगा. हमारी बिलीव गलत हो सकती है, गलत तर्क पर केंद्रित हो सकती है.
जावेद अख्तर की इस बात पर सद्गुरु कहते हैं कि जब मैं पिछली बार जावेद अख्तर से मिला था तब वह बता रहे थे कि उन्हें किसी गुरु ने कहा कि आप अपने दिमाग का इस्तेमाल ना करें, पता नहीं किस गुरु ने ऐसा कहा था लेकिन एक बात तो साफ़ है की सलाह को गंभीरता से ले लिया. इस पर जावेद अख्तर कहते हैं मैंने आज तक किसी भी गुरु को सीरियसली नहीं लिया एक बार फिर से क्लियर कर देना चाहता हूं.