tree house

पेड़ पौधे हमारे जीवन में बिल्कुल भोजन और पानी की तरह ही महत्वपूर्ण है जिनके बिना हम रह नहीं सकते. पेड़ लगाना और उसे काटने से बचाना धरती पर रहने वाले हर एक इंसान की जिम्मेदारी है लेकिन कई लोग इसे अनदेखा कर देते हैं. इसी बीच राजस्थान के झीलों के शहर उदयपुर में एक इंजीनियर ने पेड़ को बिना कांटे बहुत ही खूबसूरत घर तैयार किया है जिसकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही है.

पेड़ पर बनाया चार मंजिला घर इन दिनों चर्चा का विषय है और हर कोई उनके इस घर की तारीफ कर रहे हैं. केपी सिंह (KP Singh) का यह मकान पर्यावरण संरक्षण की भी एक अनूठी मिसाल पेश करता है. घर के मालिक इंजीनियर केपी सिंह का यह 4 मंजिला मकान पिछले 20 साल से आम के पेड़ पर ही टिका हुआ है.

केपी सिंह (KP Singh) ने आज तक इस आम के पेड़ की टहनी भी नहीं काटी है. इस घर को ‘ट्री हाउस’ (tree house) के नाम से जाना जाता है. खास बात यह है कि, उदयपुर को देखने वाले पर्यटक इस घर की ओर भी आकर्षित होते हैं. इंजीनियर केपी सिंह ने अपने घर की बनावट इस कदर की है कि उन्होंने पेड़ की टहनी काटने के बजाय इनका बेहद ही ख़ूबसूरती से इस्तेमाल किया है.

जैसे कि आम की किसी टहनी का टीवी स्टैंड बना लिया तो किसी टहनी को सोफे का रूप दे दिया, तो किसी टहनी पर टेबल रख कर उसे खूबसूरत आकार दे दिया. केपी सिंह ने बताया कि, यह आम का पेड़ करीब 87 साल पुराना है. घर की बनावट इस तरह है कि आम की ज्यादातर टहनियां घर के अंदर ही है. ऐसे में जब आम का सीजन आता है घर के अंदर ही आम उग आते हैं.

केपी सिंह के मुताबिक, इस घर में बाथरूम, बैडरूम, किचन और डाइनिंग हॉल समेत सभी सुविधाएं उपलब्ध है. इतना ही नहीं बल्कि घर के अंदर जाने वाली सीढ़ियां रिमोट से चलती है. ट्री हाउस की सबसे खास बात यह है कि, इस घर को सीमेंट से तैयार नहीं किया गया है, बल्कि सेल्यूलर, स्टील स्ट्रक्चर और फाइबर सीट से तैयार किया गया है.

इस घर की ऊंचाई करीब 40 फीट है वही जमीन से यह घर 9 फीट ऊपर से शुरू होता है. केपी सिंह ने बताया कि, इस घर में रहने पर प्रकृति के करीब होने का एहसास बना रहता है.

पेड़ की टहनियों का भी रखा गया है खास खयाल

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केपी सिंह ने बताया कि, साल 2000 में घर बनाते समय पेड़ की टहनियों का खास ख्याल रखा गया है. जब तेज हवा चलती है तो यह घर भी झूले की तरह झूलने लगता है. इतना ही नहीं बल्कि पेड़ को बढ़ने के लिए घर में बड़े-बड़े होल तैयार किए गए ताकि पेड़ की अन्य टहनियों को भी सूरज की रोशनी मिल सके और वे बड़ी हो सके.

केपी सिंह ने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि, प्रकृति और पेड़ को किसी भी तरह का नुकसान ना पहुंचे और लगातार हरा-भरा बना रहे. इस ट्री-हाउस की यही खासियत यहां से गुजरने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है. ट्री हाउस का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में भी दर्ज है.

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