शिवसेना के विधायक और बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह बागी विधायकों से कह रहे हैं कि हम एक राष्ट्रीय पार्टी से मदद मिलेगी. शिंदे बीजेपी का नाम लेने में आखिर क्यों बच रहे हैं? शिंदे ने अभी तक अपनी या बीजेपी की मदद से सरकार बनाने का दावा क्यों नहीं पेश किया है? बीजेपी ने भी अभी तक सरकार बनाने का दावा क्यों नहीं पेश किया है?
इधर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती तक दे डाली है शिंदे को. शिंदे के समर्थक विधायकों की संख्या 42 से घटकर 40 पर आ गई है. एकनाथ शिंदे ने कहा है कि एक राष्ट्रीय पार्टी ने उनके विद्रोह को ऐतिहासिक करार दिया है और सभी सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है. उनका यह वीडियो गुवाहाटी के एक होटल में शिवसेना के बागी विधायकों के ग्रुप को संबोधित करते हुए मुंबई में उनके कार्यालय द्वारा जारी किया गया है.
वीडियो में यह भी दिखाया गया है कि विधायक आम राय से शिंदे को अपने समूह के नेता के रूप में चुनते हैं, फिर उन्हें आगे का निर्णय लेने के लिए अधिकृत करते हैं. वीडियो में शिंदे कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि हमारी चिंताएं और खुशी समान हैं. हम एकजुट हैं और जीत हमारी होगी. एक राष्ट्रीय पार्टी है. एक महाशक्ति, आप जानते हैं कि उन्होंने पाकिस्तान को जीत लिया है. उस पार्टी ने कहा है कि हमने ऐतिहासिक फैसला लिया है और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.
एकनाथ शिंदे फिलहाल शिवसेना के 37 बागी विधायकों और बाकी निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं. शिंदे के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि उनकी ओर से निर्णय लेने के लिए उन्हें अधिकृत करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है. हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष ने पहले अजय चौधरी को शिंदे की जगह सदन में शिवसेना समूह के नेता के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दे दी थी.
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे जिस पार्टी को राष्ट्रीय और महाशक्ति बता रहे हैं वह उसकी मेहमानवाजी में है. सूरत के होटल का बिल बीजेपी नेताओं ने दिया यह, किसी से छिपा नहीं है. गुजरात पुलिस की सुरक्षा में शिंदे और बाकी विधायकों को गुवाहाटी पहुंचाया गया, जिसे पूरी दुनिया ने चैनलों पर देखा.
गुवाहाटी के जिस फाइव स्टार होटल में रोका गया है वहां असम के मुख्यमंत्री यूं ही घूमने के लिए नहीं गए थे. महाराष्ट्र के बीजेपी नेता कैमरे के सामने गुवाहाटी में शिंदे से मिल रहे हैं, उसे सब देख रहे हैं. इसके बावजूद शिंदे उस राष्ट्रीय पार्टी का नाम लेने से कतरा क्यों रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि सिर्फ मीडिया के जरिए माहौल बनाने की कोशिश हो रही है और बीजेपी को और एकनाथ शिंदे को डर है कि अगर विधायक मुंबई वापस आते हैं तो वह फिर से उद्धव ठाकरे और शिवसेना को समर्थन दे देंगे?