चीन, नेपाल, भूटान और अब इरान! तेहरान ने भारत को एक ज़ोरदार झटका दिया है और यह साफ़ कर दिया है कि भारत की विदेश नीति और भारतीय राजनीति में कहीं कुछ गड़बड़ी ज़रूर है कि एक के बाद एक तमाम पड़ोसी इससे मुँह मोड़ते जा रहे हैं.
इरान ने चाबहार बंदरगाह से ज़हेदन को जोड़ने वाली 628 किलोमीटर लंबी रेल लाइन परियोजना से भारत को बाहर कर दिया है. यह रेल लाइन भविष्य में अफ़ग़ानिस्तान से लगने वाली सीमा जरंज तक जा सकती है.भारतीय रेल की आनुषंगिक कंपनी इंडियन रेलवेज़ कंस्ट्रक्शन लिमिटेड यानी इरकॉन को यह ठेका मिला था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इरान दौरे पर इससे जुड़े क़रार पर दस्तख़त किया गया था.
अब इरान का कहना है कि वह ख़ुद यह रेल परियोजना पर काम करेगा. इसके लिए इरानी राष्ट्रीय विकास कोष से 40 करोड़ डॉलर दिए जाएंगे. यानी, इरान ने इस रेल परियोजना से भारत को बाहर कर दिया है. इसके ठीक पहले यानी पिछले हफ़्ते ही तेहरान ने चीन के साथ एक क़रार किया, जिसके तहत बीजिंग चाबहार ड्यूटी फ्री ज़ोन और तेल साफ़ करने का कारखाना बनाएगा.
यह भी मुमकिन है कि चाबहार बंदरगाह बनाने में भी उसकी भूमिका हो. इस पूरी परियोजना पर चीन 400 अरब डॉलर खर्च करेगा. यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी कूटनीतिक हार इसलिए है कि इससे यह साफ़ हो जा रहा है कि तेहरान पर नई दिल्ली का असर कम हो रहा है और बीजिंग का प्रभाव बढ़ रहा है.
चीन पहले से ही पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह बना रहा है. वह चाबहार से 72 किलोमीटर दूर है. चाबहार से यह लगता था कि भारत की मौजूदगी इरान में है. अब यह साफ़ हो गया है कि चीन ने भारत को पीछे छोड़ दिया है. पाकिस्तान और चीन ही नहीं, नेपाल, भूटान और इरान भी आँखें दिखा रहे हैं तो सवाल उठता है कि भारत के पड़ोसी क्यों इसका साथ छोड़ते जा रहे हैं? क्यों एक-एक कर सब दूर हो रहे हैं?
ये सवाल इसलिए भी अहम हैं कि भारत का चीन के साथ बेहद तनावपूर्ण रिश्ता है. पारंपरिक मित्र नेपाल ने आरोप लगाया है कि भारत ने उसके इलाक़े पर कब्जा कर लिया है, उसने चुनौती भी दे दी है कि वह अपना इलाक़ा हर हाल में भारत से लेकर रहेगा. भूटान ने बीते हफ़्ते एक नहर को बंद कर दिया था जिससे उसका पानी असम के किसानों को मिलना बंद हो गया. हालांकि बाद में भूटान और भारत दोनों ने इस पर सफ़ाई दी थी, पर यह तो स्पष्ट हो ही गया कि कुछ गड़बड़ ज़रूर है.
भारत में इरान के साथ आए इस खटास पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है. विपक्षी दल कांग्रेस ने इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, यह मोदी सरकार की कूटनीति है जो काम किए बग़ैर ही वाहवाही लूट लेती है, चीन ने चुपचाप काम किया. भारत के लिए यह बड़ा नुक़सान है. पर आप तो सवाल ही नहीं पूछ सकते.
इसमें सामरिक टकराव काम कर रहे, भारत वर्तमान में चीन के कुटिल रवैया को देखते हुए अमेरिका, इजराइल से अपना सहयोग नही छोड़ सकता है, क्योंकि ईरान का दोहरा व्यहार चीन पाकिस्तान से परमाणु साठगांठ, अमेरिका से टकराव, ऐसे में भारत अपने सूरक्षा दाव नहीं लगा सकता, ईरान, नेपाल, पाकिस्तान अपनी बूरी नीति की वजह से चीन चुंगल फंसें है, आखिर जीत भारत की होगी, चीन के साथ यह देश मुसीबत में फंसेंगे