उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कुंडा एक बार फिर सुर्खियों में है. कुंडा वैसे तो हमेशा सुर्खियों में बना रहता है. कुंडा के सुर्खियों में बने रहने की वजह निर्दलीय विधायक राजा रघुराज प्रताप सिंह (Raja Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) रहते हैं. राजा भैया इस बार भी चुनाव मैदान में थे, 27 फरवरी को राजा भैया के विधानसभा में मतदान था.
जानकारी के मुताबिक कुंडा में मतदान के दौरान जमकर गुंडागर्दी हुई. चुनाव आयोग और पुलिस भी बेअसर नजर आए. लेकिन मतदान के दूसरे दिन पुलिस और चुनाव आयोग दोनों हरकत में आए. कुंडा की पुलिस ने राजा भैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है, उसने सपा प्रत्याशी गुलशन यादव (Gulshan Yadav) के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की, जिन्होंने राजा भैया से कड़ा चुनावी मुकाबला किया है.
कुंडा थाने में दर्ज FIR में समाजवादी पार्टी के पोलिंग एजेंट राजेश सरोज को पीटने के आरोप में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के संस्थापक राजा भैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इस मामले में राजा भैया और 17 अन्य लोगों का नाम है. इसमें आईपीसी धाराएं और sc-st अधिनियम के प्रावधान लागू हैं.
राजा भैया का नाता हमेशा विवादों से रहा है. 2013 में उन पर डीएसपी जियाउल हक की हत्या का आरोप है. जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने राजा भैया समेत चार लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई थी. कुंडा के बलीपुर गांव में जमीन विवाद में राजा भैया के समर्थकों और पाल बिरादरी के लोगों में संघर्ष हुआ था.
पाल बिरादरी के लोग गांव छोड़कर भागने लगे तो डीएसपी जियाउल हक वहां जा पहुंचे. उन्होंने राजा भैया के लोगों को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन इसी दौरान डीएसपी की हत्या कर दी गई. उस समय राजा भैया अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल में थे. अखिलेश यादव ने उनसे फौरन इस्तीफा मांग लिया.
इन घटनाओं के अलावा भी कुंडा के तमाम गांव में आम लोगों को तरह-तरह से परेशान करने के कई मामले दर्ज हैं. इनमें दलितों पर जुल्म करने की भी एफआईआर दर्ज है. मायावती के मुख्यमंत्री कार्यकाल में राजा भैया पर कड़ी कार्रवाई हुई थी. उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया गया था.
राजा भैया के कथित महल में बने तालाब से उस समय पुलिस ने एक नर कंकाल भी बरामद किया था. उस समय आरोप लगा था कि राजा भैया ने उस तालाब में घड़ियाल पाल रखे हैं. उस समय भी राजा भैय्या पर हत्या का केस दर्ज हुआ था. वक्त बीता मायावती की सरकार नहीं रही तो इन कहानियों का अंतिम नतीजा भी खत्म हो गया. पुलिस ने आगे उन मामलों को लेकर किया किया, कोई नहीं जानता.
राजा भैया कपड़ों की तरह पार्टियां बदलते हैं. वह समाजवादी पार्टी में मंत्री तक रहे. उन्हें बीजेपी ने भी शरण दी और बीजेपी अभी भी उनकी शरण स्थली है. नाम के लिए उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बना रखी है, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से बीजेपी सरकार को समर्थन दे रखा है.