महाराष्ट्र का सियासी संग्राम फिलहाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) मोर्चे पर डटे हुए हैं. उधर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने भी तेवर दिखाए हैं. इस बीच महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी की भी एंट्री हो गई है. शनिवार को एकनाथ शिंदे देवेंद्र फडणवीस से बड़ोदरा में मुलाकात की है. दोनों नेताओं की मुलाकात के मुद्दे पर अभी कुछ भी खबर नहीं आ रही है कि किस बारे में बात हुई है.
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के बीच गुवाहाटी में मौजूद एकनाथ शिंदे ने आज फिर बागी विधायकों के साथ बैठक बुलाई है. शनिवार को भी बागी विधायकों की एक बैठक हुई थी. सूत्रों के मुताबिक बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे आज बुलाई गई बैठक में आगे की रणनीति को लेकर विधायकों से चर्चा करेंगे. शनिवार रात एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात हुई है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे (Rashmi Thackeray) भी मैदान में उतर चुकी हैं. रश्मि ठाकरे गुवाहाटी में मौजूद बागी विधायकों की पत्नियों से संपर्क कर रही हैं. इस दौरान वह उन्हें अपने पतियों से बात करने के लिए मनाने की कोशिश करने को कह रही हैं. उधर उद्धव ठाकरे भी गुवाहाटी में कुछ विधायकों को मैसेज कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि बागी विधायक उद्धव को बस यह जवाब दे रहे हैं कि वह शिवसेना के साथ हैं.
इधर महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक बवाल के बीच शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने बागियों को फिर से निशाने पर लिया है. उन्होंने ट्वीट किया है कि कब तक छुपोगे गुवाहाटी में, आना ही पड़ेगा चौपाटी में. संजय ने इससे पहले शनिवार को भी बागी नेताओं को लेकर बयान दिया था. उन्होंने बाजी नेताओं पर कार्यवाही की चेतावनी दी थी.
इसके अलावा महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने बागी नेताओं को लेकर कहा है कि जो चले गए, अच्छे के लिए चले गए. उन्होंने कहा कि पूरे देश ने देखा कि महामारी के दौरान सबसे शक्तिशाली काम करने वाले को अपना सरकारी आवास छोड़ना पड़ा. आदित्य ने यह बातें शनिवार को कही. उन्होंने कहा कि शिवसेना विधायकों को जबरन गुवाहाटी ले जाया गया है.
आपको बता दें कि कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिवसेना सरकार को कोई खतरा नहीं है. सब कुछ धीरे धीरे ठीक हो जाएगा. ठीक इसके उलट एकनाथ शिंदे का हश्र राज ठाकरे और नारायण राणे जैसा ना हो जाए इसकी भी आशंका कुछ लोग जता रहे हैं. राज ठाकरे और नारायण राणे का शिवसेना छोड़ने के बाद क्या हश्र हुआ था, उस उदाहरण को देखने की नसीहत भी एकनाथ शिंदे को कुछ राजनीतिक विश्लेषक दे रहे हैं.