देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी लगातार चुनाव हार रही है. इस समय पूरे देश में सिर्फ 2 राज्यों में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार है, जबकि तीन राज्यों में वह गठबंधन के द्वारा सत्ता में शामिल है. वही इस वक्त बीजेपी की 12 राज्यों में सीधे सरकार है, तो 6 राज्यों में गठबंधन में बीजेपी शामिल है.
2014 से पहले यह स्थिति ठीक उलट थी. अब कांग्रेस के सामने अगले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजयी अभियान को रोकने की बड़ी चुनौती है. इसके लिए कांग्रेस कुछ मुद्दों पर गुपचुप तरीके से काम कर रही है.
आंकड़ों के जाल में फंसाने की हो रही है तैयारी?
कांग्रेस हर राज्य में उन लोगों के आंकड़े जुटा रही है, जो बेरोजगारी की वजह से डिप्रेशन में चले गए. अभी मिले आंकड़ों के हिसाब से यह आंकड़ा तकरीबन एक करोड़ होगा. इसमें दो तरह के लोग होंगे. पहले वह जिनकी नौकरी बीजेपी के दौर में गई और दूसरे वह जो काबिल हैं, परीक्षा भी दे चुके हैं, पर उनको नौकरी नहीं मिल रही है.
बेरोजगारी की वजह से कितने लोगों की जानें गई, इसके भी आंकड़े इकट्ठे कर रही है कांग्रेस. जीएसटी और डिमॉनेटाइजेशन की वजह से बंद हुए उद्योगों के आंकड़े भी कांग्रेस इकट्ठे कर रही है.
बूथ पर कांग्रेस यूनिट बनाने की तैयारी
बूथ स्तर पर कांग्रेस की एक टीम मौजूद रहे, यह टीम युवाओं की हो, इसके लिए कांग्रेस लगातार प्रयास कर रही है, काम शुरू भी कर चुकी है. कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ने वाले लोग बूथ स्तर पर जोड़े जा रहे हैं. पहले उन राज्यों पर फोकस है जहां अब लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव है.
पोलराइजेशन के खिलाफ अभियान चलाएगी कांग्रेस
पोलराइजेशन के मुद्दे पर भी कांग्रेस आवाज बुलंद करने की रणनीति बना रही है. जहां हिंदू मुसलमान करने के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं चुनाव के दौरान, इसका तोड़ निकालने का प्रयास कांग्रेस कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी कुछ लोगों की नहीं, बल्कि चुनाव जीतने की चिंता है. इस कारण चुनाव के दौरान इस तरह के मुद्दों को हवा दी जाती है.
सोशल मीडिया टीम की समीक्षा
कांग्रेस के पास केवल उत्तर प्रदेश में ही लगभग 1500 लोगों की सोशल मीडिया टीम है. टि्वटर, Facebook, सोशल मीडिया पेज टीम, समेत कई और टीमें है. केवल सोशल मीडिया की पेज टीम में ही 70 लोग हैं. सोशल मीडिया में मौजूद सभी टीमों की समीक्षा हो रही है. सोशल मीडिया के अब तक के प्लान में कांग्रेस की क्या खामियां थी इसकी भी समीक्षा की जा रही है.
नेताओं को साधने का प्रयास
कांग्रेस पुराने नेता जो कांग्रेस में खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं, उन्हें साधने का प्लान तैयार कर रही है. उन्हें किसी अहम जिम्मेदारी के लिए चुनने का कोई प्लान तो कांग्रेस का नहीं है, लेकिन जिस तरह से इन चुनाव में कुछ नेता, जैसे मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद लगातार कांग्रेस के विपक्ष के तौर पर बयानबाजी कर रहे हैं, उन्हें ऐसा करने से रोकने के प्लान के तहत सोनिया गांधी उनसे मुलाकात कर रही हैं. ताकि उनके भीतर जो अलग-थलग होने की टीस है उसको खत्म किया जा सके.