सेना की परमानेंट नौकरी का रास्ता लगभग बंद करके 4 साल की नो रैंक नो पेंशन वाली योजना लाई गई तो युवाओं को उत्तेजित होना ही था और वह हुए भी. 5 दिन बाद ही सही सरकार ने अब इसमें कई सुधार किए हैं. पूरा विपक्ष युवाओं के साथ मोदी सरकार के खिलाफ इस मुद्दे पर आवाज बुलंद किए हुए हैं.
अग्निपथ स्कीम की लॉन्चिंग 14 जून को केंद्र सरकार ने बड़े उत्साह के साथ की थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीनों सेना प्रमुखों के साथ सेना में भर्ती स्कीम की खूबियां बता रहे थे. एक-दो दिन तो देश के युवाओं को इस स्कीम को समझने में लग गए. लेकिन जैसे ही इस स्कीम की डिटेल युवाओं को समझ में आई वह सड़क पर आ गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे.
आज इस योजना के विरोध में कई संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. युवाओं की सबसे ज्यादा नाराजगी 4 साल की सेवा अवधि को लेकर है. युवाओं के अलावा नेताओं ने भी कहा है कि 18 साल में नौकरी शुरू कर युवा 22 साल में बेरोजगार हो जाएंगे तो इसके बाद उनका क्या होगा? 16-17 और 18 जून को इस योजना का इतना भयानक विरोध हुआ कि सरकार बैकफुट पर आ गई.
सरकार ने इस योजना में एक के बाद एक कई बदलाव किए हैं और प्रदर्शनकारी छात्रों का गुस्सा शांत करने की कोशिश की है. भविष्य के अग्निवीरों की सबसे अधिक नाराजगी इस बात को लेकर थी कि हर साल अग्निपथ स्कीम से बाहर होने वाले 75 फ़ीसदी कैडर का क्या होगा? केंद्र सरकार ने इसका विकल्प बताने की कोशिश की है. रक्षााा मंत्रालय की तरफ से घोषणा की गई है कि आवश्यक पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले अग्निवीरों को रक्षा मंत्रालय की नौकरियों में 10% तक आरक्षण मिलेगा.
इससे पहले 18 जून शनिवार को गृह मंत्रालय ने अग्निवीरों के लिए एक और ऐलान किया था. गृह मंत्रालय ने कहा कि जब अग्निवीर 4 साल की सेवा के बाद बाहर आते हैं तो उनके लिए केंद्रीय सशस्त्र बल पुलिस और असम राइफल्स की नौकरियों में उन्हें 10 फ़ीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा केंद्रीय सशस्त्र बल पुलिस और असम राइफल्स में अग्निवीरों की भर्ती में ऊपरी आयु सीमा में 3 साल की छूट दी जाएगी.