कांग्रेस 2014 की बाद 22 राज्यों की विधानसभा और 2 लोकसभा चुनाव में करारी हार झेल चुकी है. इसके बाद उदयपुर में कांग्रेस पार्टी का चिंतन शिविर जारी है. यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस चिंतन शिविर का आयोजन कर रही है. सोनिया गांधी के रहते हुए कांग्रेसियों के लिए यह चौथी बार चिंतन के लिए शिविर लगाया गया है. शिविर में 1 फैमिली वन टिकट का फार्मूला लागू करने की घोषणा भी हुई है.
इसके अलावा प्रदेश अध्यक्षों और जिला अध्यक्षों का टर्म भी फिक्स किया जाएगा. अनुशासन को लेकर भी सख्त फैसले होने की उम्मीद है.
दिलचस्प बात यह है कि वन फैमिली वन टिकट का जो फार्मूला लागू करने का ऐलान किया है कांग्रेस ने या फिर यह बात कही है कांग्रेस ने, उसको लेकर मीडिया में मनगढ़ंत खबरें चलाई जा रही हैं. तमाम मीडिया चैनलों पर और अखबारों में यह खबरें चलाई जा रही हैं कि वन टिकट वन फैमिली के दायरे से और अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे से गांधी परिवार को अलग रखा गया है. जबकि यह बात पूरी तरीके से निराधार है.
जिस बयान के आधार पर तोड़ मरोड़ कर यह खबरें चलाई जा रही हैं, दरअसल वह बयान कांग्रेस नेता अजय माकन ने दिया है और उनका पूरा बयान चलाने की जगह मीडिया में आधा अधूरा बयान चलाकर गांधी फैमिली के खिलाफ एक तरह से प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है. जबकि अजय माकन ने कहा था कि 1 टिकट वन फैमिली का फार्मूला कांग्रेस लागू कर सकती है. लेकिन अगर कोई परिवार का व्यक्ति राजनीति में है और दूसरा व्यक्ति राजनीति में आता है या फिर उसको टिकट दिया जाता है तो कम से कम वह व्यक्ति 5 सालों तक संगठन के लिए काम किया होगा तो उसे टिकट मिलेगा.
अजय माकन का कहना था कि एक से अधिक टिकट एक ही परिवार को उस परिस्थिति में मिलेंगे जब उस परिवार के दूसरे व्यक्ति को, जिसको टिकट दिया जा रहा है वह व्यक्ति कम से कम 5 सालों तक संगठन का काम कर चुका होगा और पार्टी के लिए जनता के बीच मेहनत कर चुका होगा, उसके बाद उसे पार्टी की तरफ से टिकट दिया जाएगा. यानी दूसरा टिकट एक ही परिवार को उस कंडीशन में दिया जाएगा जब पिछले 5 सालों से वह दूसरा व्यक्ति भी पार्टी से जुड़ा हुआ रहे और पार्टी के लिए जनता के बीच मेहनत करता रहे.
गांधी परिवार को और मिलेगी मजबूती
लगातार आंतरिक कलह से जूझ रहे गांधी परिवार को भी इस चिंतन शिविर से मजबूती मिल सकती है. चुनावों में हार की जिम्मेदारी को लेकर लगातार पार्टी में घमासान मचा हुआ है. वहीं शिविर में G-23 समेत कांग्रेस के सभी नेता एकजुट हुए हैं. ऐसा माना जा रहा है कि शिविर के बाद फिर से गांधी परिवार कांग्रेस की सत्ता के केंद्र में रहेगा. शिविर में राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाए जाने की भी मांग उठ सकती है. इसी साल कांग्रेस में नए अध्यक्ष का चुनाव होना है.