लंबे समय से सुनने में आ रहा था कि प्रशांत किशोर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में है. मुलाकातों का दौर भी चला. अब कांग्रेस में प्रशांत किशोर की एंट्री करीब-करीब तय हो गई है. पिछले 1 सप्ताह में प्रशांत किशोर और कांग्रेस के नेताओं की तीन बार मुलाकात हो चुकी है. अब प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री औपचारिकता मात्र ही लगती है.
पिछले दिनों संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब था. जहां पंजाब में कांग्रेस सत्ता में होने के बावजूद में 20 सीटों से भी कम आंकड़े में सिमट कर रह गई, तो वहीं गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर में भी अपेक्षा के अनुकूल प्रदर्शन नहीं कर पाई. उत्तर प्रदेश में तो पार्टी और भी खस्ताहाल रही. कई तरह की घोषणाओं के बावजूद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बमुश्किल अपना खाता खोल पाई.
2014 में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों की 12 राज्यों में सरकार थी, जबकि बीजेपी के पास सिर्फ 10 राज्य. हालांकि 2022 में यह आंकड़ा उल्टा हो गया है. आज भाजपा और उसके गठबंधन के दलों के पास 17 राज्य हैं. वहीं कांग्रेस और सहयोगी पार्टियों के पास पांच. प्रशांत किशोर चुनाव के दौरान सोशल मीडिया और अन्य तरह के तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करना काफी बेहतर तरीके से जानते हैं. जबकि कांग्रेस इन मुद्दों पर लगातार बीजेपी से काफी पीछे रही है. ऐसे में प्रशांत किशोर कांग्रेस को बेहतर प्रोफेशनल तरीके से चुनाव लड़ने में मदद कर सकते हैं.
प्रशांत किशोर को कांग्रेस में जान फूंकने के लिए कई तरह की चुनौतियों से भी पार पाना होगा. पिछले कुछ सालों में कांग्रेस जिस कमी से जूझ रही है वह है जमीनी संगठन. ऐसे में कमजोर संगठन के साथ चुनाव जीतना दूर की कौड़ी नजर आता है. इस चुनौती से निपटने के लिए प्रशांत किशोर को काफी मशक्कत करनी होगी. कांग्रेस में अंदरूनी कलह भी चरम पर है, उससे भी लड़ना होगा.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद प्रशांत किशोर को महासचिव का पद दिया जा सकता है. वह इस पद पर रहते हुए स्ट्रेटजी और गठबंधन पर काम करेंगे. इसका मतलब है 2024 के लिए प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने के अलावा गठबंधन पर भी काम करेंगे.