रूस और यूक्रेन को लेकर तमाम तरह की रिपोर्ट आ रही है. कहा जा रहा है कि रूस ने युद्ध को टाल दिया है. लेकिन अभी इसको लेकर संदेह बना हुआ है पूरी दुनिया के अंदर. रूस ने क्रीमिया में सैन्य अभ्यास खत्म करने की घोषणा की है और इसके साथ ही सैनिकों के यूक्रेन सीमा से वापस लौटने की भी खबर आ रही है.
लेकिन इन सबके बीच अगर रूस और यूक्रेन का युद्ध होता है और अमेरिका भी इसमें कूद जाता है तो फिर इस युद्ध में भारत रूस का साथ देगा या फिर अमेरिका का, यह सवाल बना हुआ है. इसको लेकर अमेरिका की तरफ से भी अब प्रतिक्रिया आ चुकी है.
अमेरिका ने बुधवार को कहा कि भारत नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि अगर रूस यूक्रेन पर आक्रमण करता है तो भारत अमेरिका का साथ देगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस की तरफ से बताया गया है कि विदेश मंत्रियों के बीच हाल में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी मेलबर्न में हुई बैठक में रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा हुई. भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्री इस बैठक में शामिल थे.
उन्होंने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस मामले के राजनयिक शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है. क्वाड नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का पक्षधर है. उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, नियम आधारित व्यवस्था हिंद प्रशांत क्षेत्र में समान रूप से लागू होती है. जैसे कि यह यूरोप में है या अन्य कहीं है.
उन्होंने कहा हम जानते हैं कि हमारे भारतीय साझेदार नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है. इस व्यवस्था में अनेक नियम है, उनमें से एक यह है कि बल के जरिया सीमाओं का पुनर्निर्माण नहीं हो सकता. भारत सहित अन्य पड़ोसियों के खिलाफ चीन के आक्रामक रूप का प्रत्यक्ष जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, बड़े देश छोटे देशों को परेशान नहीं कर सकते.
उन्होंने आगे कहा, किसी देश के लोग अपनी विदेश नीति, अपने साझेदार, गठबंधन सहयोगी आदि चुनने के हकदार हैं. यह सिद्धांत यूरोप की भांति हिंद प्रशांत क्षेत्र में समान रूप से लागू होता है.