उत्तर प्रदेश में इसी साल फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल ने सम्मानजनक प्रदर्शन किया है. RLD के विधायकों की संख्या 0 से 8 पहुंच गई. ऐसे में पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी आरएलडी को विस्तार देने में लगे हुए हैं. उनकी नजर राजस्थान पर भी जाकर टिकी है. राजस्थान में आरएलडी का एक विधायक है जो कि कांग्रेस के अशोक गहलोत सरकार में मंत्री भी हैं.
हाल ही में जयंत चौधरी ने अपने ट्विटर प्रोफाइल में “बिश्नोई” जोड़ा है, जो उनकी मां राधिका सिंह का गोत्र है. इसको राजस्थान में पार्टी के विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वहीं राज्य के कुछ हिस्सों में बिश्नोई समुदाय अच्छी संख्या में मौजूद है. ऐसे में जयंत चौधरी बिश्नोई समाज को आरएलडी के साथ जोड़ना चाहते हैं. लेकिन इसका नुकसान किसे होगा कांग्रेस को या फिर बीजेपी को यह आने वाला वक्त बताएगा.
नाम बदलने को लेकर उन्होंने एक ट्वीट करके बताया कि, क्या आप जानते हैं मेरे नाम में चौधरी अजीत सिंह जी की इच्छा अनुरूप कुमार भी है? माताजी के स्मृति में और शांतिप्रिय बिश्नोई समाज के सम्मान में जून माह के लिए ट्विटर पर नाम जोड़ा है. ऐसे में वक्त जब धर्म और जाति पर आधारित बंटवारे पर चर्चा का है, शायद कुछ लोगों की आंखों से पर्दा उठ जाए.
जयंत चौधरी ने कहा कि जब बिश्नोई समाज को आपराधिक तत्वों से जोड़ा जा रहा है ऐसे में समाज एकजुटता लाने के लिए उन्होंने ट्विटर पर बदलाव किया है. आपको बता दें कि पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला की हत्या में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम सामने आया है. वही हाल ही में सलमान खान को भी जान से मारने की धमकी मिली है, इसमें भी उसी का नाम आ रहा है. दरअसल इससे पहले सलमान खान को काला हिरण शिकार मामले में भी लॉरेंस बिश्नोई ने धमकी दी थी.
RLD के अध्यक्ष जयंत चौधरी का मानना है कि बिश्नोई समाज का नाम इस तरह से सामने आने पर उन्होंने समाज की एकता के लिए ट्विटर पर नाम में बिश्नोई समाज जोड़ा है. आपको बता दें कि राजस्थान में बिश्नोई समाज की मौजूदगी और अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव को देखते हुए कहा जा रहा है कि जातीय लाभ लेने के लिए जयंत चौधरी ने अपने नाम के आगे बिश्नोई शब्द जोड़ा है.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसी खबरें आई थी कि प्रियंका गांधी जयंत चौधरी से मिलकर कांग्रेस और आरएलडी के गठबंधन को जनता के बीच ले जाना चाहती थी. लेकिन जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके जयंत चौधरी ने 8 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया. हालांकि उम्मीद के मुताबिक नतीजे न मिलने से अखिलेश यादव और जयंत चौधरी का गठबंधन सरकार बनाने में नाकाम रहा. आज अखिलेश यादव विधानसभा में तो है लेकिन विपक्ष में बैठे हुए हैं. जबकि चुनाव से पहले सरकार बनाने के दावे यह गठबंधन कर रहा था.
अब देखना यह होगा कि जयंत चौधरी राजस्थान का विधानसभा चुनाव किस आधार पर लड़ते हैं. क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन में जाएंगे या फिर अकेले लड़के कहीं ना कहीं राजनीतिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे. पार्टी का विस्तार आखिर वह किस तरह करना चाहते हैं? यह आने वाले विधानसभा चुनाव में देखने वाली बात होगी. लेकिन उन्होंने ट्विटर पर जो अपने नाम में विश्नोई लगाया है, वह कहीं ना कहीं राजस्थान में उनकी पार्टी विस्तार की महत्वाकांक्षा को दर्शा रहा है.