यूपी विधानसभा चुनाव के सियासी समर में राष्ट्रीय लोक दल रालोद ने अपनी ताल ठोक दी है. रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant chaudhary) ने लखनऊ के रविंद्रालय हाल में अपना घोषणा पत्र जारी किया. इस घोषणापत्र को रालोद ने 2022 के 22 संकल्प के तौर पर जनता के बीच जाने का ऐलान किया है.
रालोद के संकल्प
एक करोड़ नौकरियां किसानों को मिलेगा आलू का डेढ़ गुना दाम गन्ना किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम 14 दिन में भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा. चौधरी चरण सिंह कृषक सम्मान योजना किसानों का सम्मान 3 गुना बढ़ाई जाएगी वृद्धा पेंशन की राशि, सशक्त महिला सक्षम, भर्तियों में 50% आरक्षण किसानों के लिए प्रभावी बीमा योजना, किसान और बुनकरों के बिजली का पुराना बिल होगा माफ, आगे भी होगा हाफ. पूर्वांचल बुंदेलखंड पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना न्याय के लिए नहीं पड़ेगा भटकना.
नए कृषि कानून के विरोध विधानसभा में प्रस्ताव पारित करेंगे. जनता की सेवक होगी खाकी यूनिफॉर्म. जयप्रकाश नारायण सर्वोदय योजना पिछड़ों को मिलेगी छात्रवृत्ति. बेहतर होंगे शहर रोशन होगा कस्बा और गांव. कृषि पशुपालन और डेयरी के लिए अलग बजट की व्यवस्था. नई खेल नीति, खेलेगा उत्तर प्रदेश बढ़ेगा उत्तर प्रदेश. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का विजन रालोद का मिशन सब को भोजन सबको काम. कोविड-19 मृतक आश्रित परिजनों को चार लाख की सहायता राशि. न्यायिक आयोग से जनता के विरुद्ध लंबित मुकदमों का निस्तारण, शहीदों का होगा मान, एक को मिलेगा सम्मान.
प्रियंका-जयंत की मुलाकात
UP में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. ऐसे में हर राजनीतिक दल और नेता की छोटी-बड़ी हर गतिविधि सुर्खियां बटोर रही है. उनके राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को लखनऊ एयरपोर्ट पर रालोद के जयंत चौधरी और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के बीच मुलाकात हुई तो पश्चिमी यूपी के समीकरणों को लेकर नए सिरे से चर्चाएं तेज हो गईं. पश्चिम यूपी के 15 जिलों की कुल 71 में से 51 सीटों पर जाट वोटों का दबदबा है.
2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाजपा को जाट वोटों को अपने साथ जोड़ने में कामयाबी मिली थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 71 में से 52 सीटें जीत ली थीं. जबकि किसी जमाने में जाटों की रहनुमाई के लिए जानी जाने वाली रालोद के हाथ सिर्फ एक सीट बागपत जिले की छपरौली ही आई थी. रालोद वेस्ट यूपी में अपनी मजबूत पकड़ होने का दावा हमेशा से करती रही है. इसी दावे के साथ 2017 के चुनाव में पार्टी ने यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 284 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन हालत ये रही कि एक सीट पर जीते पार्टी विधायक सहेंद्र सिंह ने भी बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था.
पिछले विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी में सपा, बसपा और निर्दल उम्मीदवार को भाजपा से बचीं 19 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. जबकि सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी कांग्रेस के हाथ कोई सीट नहीं आई थी. जाहिर, 2017 का चुनाव वेस्ट यूपी में भाजपा की जड़ें गहरी कर गया था लेकिन इस बार किसान आंदोलन के चलते समीकरण गड़बड़ाते नज़र आ रहे हैं. भाजपा जहां किसानों की नाराजगी और जाट वोटों के कटने के अंदेशे के चलते छोटी-छोटी जातियों को सहेजने के विकल्प पर काम कर रही है वहीं सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद भी अपने-अपने समीकरणों को दुरुस्त करने में जुटे हैं.
सपा मुखिया अखिलेश यादव का ऐलान
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश का अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि वो छोटी पार्टियों से गठबंधन कर रहे हैं. अखिलेश ने यह भी कहा कि चुनाव के लिए उनकी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के बीच गठबंधन के बाद सीटों पर अंतिम चरण में बातचीत चल रही है. चुनाव में चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) को साथ लेने की संभावना पर अखिलेश ने कहा, मुझे इसमें कोई समस्या नहीं है. उन्हें और उनके लोगों को उचित सम्मान दिया जाएगा.
इससे पहले हरदोई में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर युवा सोच को न समझ पाने का तंज कसते हुए रविवार को कहा कि जो आज के युग में लैपटॉप और मोबाइल फोन भी चलाना न जाने वे युवाओं के हित की बात कैसे समझेंगे. अखिलेश ने यहां समाजवादी विजय रथ के दूसरे चरण की यात्रा का आगाज करते हुये कहा युवा ही इस देश का भवष्यि हैं और युवाओं के मन की बात युवा सोच वाले लोग ही समझ सकते हैं. उन्होंने कटाक्ष किया, अभी तक तो हम यह जानते थे कि हमारे मुख्यमंत्री लैपटॉप चलाना नहीं जानते , लेकिन अभी एक अधिकारी ने बताया कि वह मोबाइल भी चलाना नहीं जानते हैं. जरा, सोचो जो आज के जमाने में मोबाइल और लैपटॉप नहीं चला पाए वह नौजवानों की बात क्या समझेंगे?