Anjana Om Kashyap Media aaj tak
(फोटो साभार सोशल मीडिया)

भारतीय मीडिया का स्तर कहां तक पहुंच चुका है यह बात किसी से भी अब छुपी हुई नहीं है. भारतीय मीडिया को पिछले कुछ समय से लगने लगा था कि मौजूदा सरकार की गलत नीतियों को दबाकर विपक्ष से सवाल करते रहना ही देश भक्ति है. भारतीय मीडिया को लगने लगा था कि मौजूदा प्रधानमंत्री का बचाव करना और उनका प्रचार प्रसार करना ही राष्ट्रवाद है. भारतीय मीडिया दर्शन पिछले कुछ सालों में अपनी जिम्मेदारियों को भूल चुका है.

अमेरिका में अंजना ओम कश्यप (Anjana Om Kashyap) के साथ प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को कवर करने के दौरान जो कुछ भी हुआ है. दरअसल वह भारतीय मीडिया के लिए एक सबक है. अंजना ओम कश्यप और इनके जैसे तमाम न्यूज रीडर जो स्टूडियो में बैठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार प्रसार करते थे या करते हैं, उनको लगता था कि सत्ता का गुणगान करना ही मीडिया का सर्वोच्च काम है. न्यूज़ स्टूडियो में बैठ कर अंजना ओम कश्यप जैसे तमाम न्यूज रीडर प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया का सर्वोच्च लीडर बताते हुए नहीं थकते थे.

स्टूडियो में बैठकर प्रधानमंत्री मोदी का गुणगान करना और विपक्ष पर सवालों की बौछार करना इनकी आदत बन चुकी थी स्टूडियो से बाहर निकलने के लिए यह तैयार नहीं थे उन्हें लगता था कि जो कुछ भी यह लोग कर रहे हैं वह सही है. अंजना ओम कश्यप प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे को कवर करने के लिए अमेरिका में थी.

इसी दौरान लाइव शो में उन्होंने अमेरिका में छपने वाले अखबारों की सुर्ख़ियों को पढ़ने की कोशिश की और देखना चाहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे को लेकर अमेरिका की मीडिया ने क्या कुछ लिखा है. लेकिन अंजना ओम कश्यप ने जैसे ही अमेरिकी अखबारों को पढ़ने की कोशिश की उसमें प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर कुछ भी नहीं छपा था. प्रधानमंत्री मोदी को लेकर भी कुछ भी खबर नहीं की गई थी और यह बात खुद अंजना ओम कश्यप ने अपनी लाइव शो में दर्शकों को बताई.

UNGA में स्नेहा दुबे द्वारा पाकिस्तान को दिए गए करारे जवाब के बाद अमेरिका में ही अंजना ओम कश्यप लाइव कैमरा लेकर स्नेहा दुबे के पास पहुंच गई और उनसे कहने लगी आपको पूरा हिंदुस्तान देख रहा है. क्या कुछ कहना चाहेंगी और उनको अपने हाथों से टच भी किया, जो कहीं से भी एक मीडिया पर्सन के लिए सही नहीं था. इसके बाद स्नेहा दुबे ने उन्हें बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया.

अगर मीडिया सत्ता से कठोर सवाल करने की जगह विपक्ष को कटघरे में खड़ा करके सवाल करने लग जाए और सत्ता की पालतू बन जाए तो उस देश की सरकार जनता के प्रति कभी ईमानदार नहीं हो सकती, यह बात भारतीय मीडिया भूल चुका है. भारतीय मीडिया को अमेरिकी मीडिया से सीखना होगा, जो डोनाल्ड ट्रंप से भी उसी तरीके के तीखे सवाल करता था जैसा आज जो बिडेन से करता है.

दरअसल मौजूदा सत्ता के चरणों में नतमस्तक मीडिया को लगने लगा है कि मौजूदा सत्ता और मौजूदा प्रधानमंत्री की आरती करना ही मीडिया का सर्वोच्च धर्म है. खुद से ही खुद को नंबर वन बता कर और किसी को भी कह देना कि, हमारे चैनल के माध्यम से पूरा देश आपको देख रहा है, यही नंबर वन होने की योग्यता है? कौन सा व्यक्ति किस पद पर है इसका ख्याल किए बिना ही बिना उस से परमिशन ली कैमरा लेकर पहुंच जाना यह कहां तक सही है?

किस हैसियत से आप खुद को नंबर वन कहते हैं? खुद को ही अवार्ड दे देना खुद को ही नंबर वन बताने लग जाना यह आपके अपने देश तक तो ठीक है, आप जिन दर्शकों को मौजूदा सत्ता के इशारे पर पैसों के दम पर मूर्ख बनाते हैं, उन तक तो ठीक है. लेकिन विदेशों में आप की पोल खुलने लगी है, विदेशों में आपको लोग समझने लगे हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा था और अब जो बिडेन ने भी कह दिया है कि भारतीय मीडिया अच्छा व्यवहार करती है.

भारतीय मीडिया अच्छा व्यवहार करती है, यह मीडिया के लिए विदेशों से मिला हुआ सबसे शर्मनाक कमेंट माना जाना चाहिए. क्योंकि मीडिया का काम होता है कठोर सवाल करना. अगर मीडिया को अच्छा व्यवहार करने वाला बताया जाने लगे तो समझ जाइए कि मीडिया अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार नहीं है. कहा जा सकता है कि भारतीय मीडिया मौजूदा मोदी सत्ता के सामने नतमस्तक हो चुकी है. इसके चर्चे अब विदेशों में भी होने लगे है.

दूसरे देशों की सरकारों को भी लगने लगा है कि भारतीय मीडिया सरकार के इशारे पर काम कर रही है, सरकार के इशारे पर प्रधानमंत्री मोदी का प्रचार प्रसार कर रही है. इसलिए भी दूसरे देशों के लोग शायद प्रधानमंत्री मोदी की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. शायद उन्हें भी लगने लगा है कि भारतीय सरकार द्वारा काम कुछ भी नहीं किया जा रहा है, सिर्फ मीडिया के द्वारा झूठा प्रचार करके जनता को गुमराह किया जा रहा है.

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