महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है. एक तरफ सत्तारूढ़ गठबंधन दल के नेताओं पर ईडी का शिकंजा कस रहा है तो दूसरी तरफ घटक दलों के बीच भी खींचतान चल रही है. इसका क्या राजनीतिक अर्थ निकाला जाना चाहिए? इन्हीं सब मुद्दों पर संजय राउत (Sanjay Raut) ने एक मीडिया हाउस से बात की है और बेबाकी से हर मुद्दे पर अपनी राय रखी है.
महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी का गठबंधन कितना मजबूत है? इसका जवाब देते हुए शिवसेना सांसद ने कहा है कि अलायंस की तीनों पार्टियां महाराष्ट्र में मिलकर सरकार चला रही हैं. तीनों दलों की विचारधारा अलग है. किसी एक पार्टी ने दूसरे में विलय नहीं किया है. अपनी-अपनी भूमिका के बारे में सभी दल बोलते रहेंगे. राज्य में सरकार एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चल रही है. जिसमें रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून व्यवस्था के मुद्दे शामिल हैं.
कांग्रेस के मुद्दे पर
क्या गठबंधन में कांग्रेस सहज नहीं है? उसके नेताओं ने हाईकमान को चिट्ठी भी लिखी है. इस सवाल का जवाब देते हुए संजय राउत ने कहा है कि कांग्रेस में जो कुछ भी हो रहा है वह उसका अंदरूनी मामला हो सकता है, उस पर मै टिप्पणी नहीं कर सकता. सरकार के साथ कांग्रेस को कोई दिक्कत नहीं है. आप को समझना होगा कि अगर यह गठबंधन नहीं होता तो महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में कांग्रेस सत्ता में नहीं आ पाती. सरकार के प्रति उन्हें कृतज्ञ होना चाहिए और वह हैं भी.
हिजाब कर्नाटक में मुद्दा है महाराष्ट्र में अजान, क्या वजह है?
कर्नाटक के हिजाब मुद्दे को लेकर और महाराष्ट्र में चल रहे अजान विवाद को लेकर संजय राउत ने कहा है कि अगर गौर करें तो यह मुद्दे उन्हीं राज्यों में उठ रहे हैं जहां आने वाले दिनों में चुनाव होने हैं. रामनवमी से जुड़े विवाद या हिंसा के मामले ही देख लीजिए. ज्यादातर वही हुए जहां चुनाव होने हैं. चाहे मध्य प्रदेश हो या गुजरात. महाराष्ट्र में अजान का मुद्दा बीजेपी ने नहीं उठाया, उनकी सी या डी टीम ने उठाया है, वह भी मुंबई महानगर पालिका के चुनाव को देखते हुए उठाया गया है.
बीजेपी और राज ठाकरे क्या किसी गठबंधन की तरफ बढ़ रहे हैं?
बीजेपी और राज ठाकरे के मुद्दे पर संजय राउत ने कहा है कि बीजेपी के लिए राज ठाकरे महाराष्ट्र के ओवैसी हैं. जो काम यूपी में ओवैसी ने किया, वही काम बीजेपी महाराष्ट्र में राज ठाकरे के जरिए कराना चाहती है. शिवसेना सांसद ने कहा कि स्थानीय चुनावों में हमारा कोई नया साथी नहीं होगा, हमारा साथी महाविकास आघाडी ही रहेगा. ओवैसी के साथ गठबंधन को लेकर साफ तौर पर शिवसेना नेता ने इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह सब मिथ्या प्रचार है.