कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा (Pawan Kheda) ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि, शायद मेरी तपस्या में ही कुछ कमी रह गई. इसका सीधा मतलब है कि वह राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार न बनाए जाने से दुखी हैं. पवन खेड़ा पार्टी के मुख्य प्रवक्ता हैं और तमाम बड़े मामलों पर टीवी चैनलों पर बैठकर पार्टी का पक्ष रखते हैं.
कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ से, अजय माकन को हरियाणा से, जयराम रमेश को कर्नाटक से, विवेक तंखा को मध्य प्रदेश से, इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को राजस्थान से और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को तमिलनाडु से उम्मीदवार बनाया है.
राजस्थान से जिन तीन लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है कांग्रेस की तरफ से वह तीनों लोग राजस्थान के बाहर के हैं. ऐसे में पार्टी को इस मामले में भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. 2014 के बाद से ही लगातार चुनाव हार का सामना कर रही कांग्रेस के लिए 5 राज्यों के हालिया चुनाव के बाद मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इस महीने में ही पंजाब के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ और गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल ने पार्टी छोड़ दी.
बड़ी बात यह भी है कि पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को उम्मीदवार नहीं बनाया गया है. गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के नाम शामिल नहीं हुए हैं राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में. हालांकि अभी झारखंड से पार्टी को एक उम्मीदवार के नाम का ऐलान करना बाकी है, जहां वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से एक उम्मीदवार को राज्यसभा में भेज सकती है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि वह झारखंड से राज्यसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी के द्वारा अब तक उम्मीदवार नहीं बनाए जाने को लेकर कोई अफसोस नहीं है. कांग्रेस हाईकमान बीते कई दिनों से राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करने की दिमागी कसरत में जुटा हुआ था. क्योंकि कांग्रेस अब सिर्फ 2 राज्यों में अपने दम पर सरकार चला रही है. इसलिए राज्यसभा में ज्यादा नेताओं को भेजने की क्षमता उसकी नहीं रह गई है.
आपको बता दें कि राज्यसभा के उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी हुई है कांग्रेस की तरफ से उसमें कई नाम ऐसे हैं जिसे सुनकर लोग चौक गए हैं. क्योंकि वह लोग कभी भी पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से रखते हुए पाए नहीं गए हैं या फिर संघर्ष करते हुए दिखाई नहीं दिए हैं और लोगों का कहना है कि यह राज्यसभा जाकर भी ऐसे ही चुप रहेंगे. जो लिस्ट जारी हुई है इसमें एक बात अच्छी नजर आ रही है कि दो मुख्यमंत्रियों ने एक तरह से नेतृत्व के सामने सरेंडर कर दिया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अपने राज्य से किसी को नहीं भेज पाए हैं.