उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण का चुनाव चल रहा है. इस बीच हरदोई में आज एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बार उत्तर प्रदेश में दो बार होली खेली जाएगी, पहली होली 10 मार्च को खेली जाएगी. लोगों ने मन बना लिया है, होली खेलने की तैयारी कर ली है. 10 मार्च को बीजेपी की बंपर जीत के साथ पहली होली खेली जाएगी. लेकिन अगर आप 10 मार्च को होली खेलना चाहते हैं तो आपको मतदान केंद्रों पर व्यवस्था भी करनी होगी.
मतदान केंद्रों पर व्यवस्था से प्रधानमंत्री मोदी का क्या तात्पर्य था, इसका कोई स्पष्ट जवाब ना उन्होंने दिया और ना ही किसी बीजेपी नेता ने दिया. महत्वपूर्ण यह है कि यूपी के 16 जिलों में आज मतदान हो रहा है और एक तरफ से प्रधानमंत्री मोदी ने वहां के मतदाताओं को प्रभावित करने और संदेश भेजने की कोशिश की है. चुनाव आयोग ने ऐसे बयानों का संज्ञान लेना वैसे छोड़ दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा यूपी में गरीब के लिए काम तब शुरू हुआ जब 2017 में आपने यहां डबल इंजन की सरकार बनाई. इन 5 सालों में हमने हरदोई के करीब 70000 गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास दिए हैं. मोदी के मुताबिक पहले की सरकारों में काम केवल कागजों पर होता था और भुगतना यूपी को पड़ता था. लेकिन अब विकास होता भी है और जनता तक पहुंचता भी है.
चुनाव आयोग क्या कर रहा है?
उत्तर प्रदेश वही राज्य है जिसने प्रधानमंत्री मोदी को दो बार प्रधानमंत्री बनाया. इस चुनावी राज्य को लेकर मोदी के स्नेह को कोई और कैसे समझा सकता है, जहां वह आदर्श आचार संहिता को तोड़ रहे हैं और चुनाव कानूनों की बाउंड्री को पुश कर रहे हैं. इससे पहले भी जिस दिन चुनाव थे उसके ठीक 1 दिन पहले शाम को प्रधानमंत्री मोदी का एक इंटरव्यू सभी चैनलों पर प्रसारित किया गया.
कहा जा सकता है कि एक निष्क्रिय चुनाव आयोग के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे फॉलो किया. 14 फरवरी को जब दूसरे चरण के चुनाव के लिए मतदान चल रहा था तो उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि राज्य में 20% लोगों की नकारात्मक मानसिकता है, जो हमेशा भाजपा का विरोध करते हैं और माफियाओं और अपराधियों का समर्थन करते हैं. तीन तलाक को खत्म करने की सराहना करते हुए योगी ने कहा कि मोदी सरकार ने हमेशा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की प्रवाह की है.
मोदी द्वारा दिए गए भाषण सीधे तौर पर एमसीसी के कोड एक और कोड दो का उल्लंघन करते हैं. जिसके अनुसार, कोई भी पार्टी का उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकती है.
जो नियम है, उसके मुताबिक अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना जब की जाती है, उनकी नीतियों और कार्यक्रमों, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित होगी. पार्टियों और उम्मीदवारों को निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए. जो अन्य पार्टियों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़ी नहीं है और असत्यापित आरोपों के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए.
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में आतंकवाद का मुद्दा उठा रहे हैं और समाजवादी पार्टी को उससे जोड़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण का चुनाव चल रहा है. तो क्या यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है प्रधानमंत्री द्वारा और आखिर चुनाव आयोग कुछ बोल क्यों नहीं पा रहा है, बीजेपी के नेताओं के खिलाफ, प्रधानमंत्री द्वारा लगातार आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है उसके बावजूद?
पहले भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया है आचार संहिता का उल्लंघन
चुनाव आयोग ने दांत खो दिए
लोकसभा चुनाव के दौरान भी मोदी के भारत के सशस्त्र बलों का राजनीतिकरण करने के बाद भी पार्टी मुक्त हो गई और योगी आदित्यनाथ ने भारतीय सेना को मोदी की सेना कहा. एक और स्पष्ट उल्लंघन नमो टीवी था, जो 26 मार्च 2019 को सामने आया और मतदान खत्म होने के 1 दिन बाद 20 मई 2019 को गायब हो गया.
चुनाव आयोग के पास कोई सुराग नहीं था और उसने कभी इस पर गौर करने की जहमत नहीं उठाई. ऐसा लगता है कि जब सत्ताधारी दल की बात आती है तो चुनाव आयोग और एमसीसी अलग-अलग हैं और दोनों कभी नहीं मिल सकते हैं. भारत के चुनावी लोकतंत्र के लिए कितना दुखद है.
एक तरफ तीसरे चरण के लिए जनता वोटिंग कर रही है. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी उसी दिन दूसरी जगह रैली करके अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे हैं, होली मनाने की बात कर रहे हैं और तमाम टीवी चैनलों पर उसे प्रसारित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी पिछली सरकारों को दोष दे रहे हैं. हर समस्या का जिम्मेदार पिछली सरकारों को बता रहे हैं.
लेकिन उनकी सरकार में उत्तर प्रदेश के युवाओं को कितना सरकारी रोजगार मिला, महंगाई कितनी कम हुई, अजय मिश्रा टेनी जैसे अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? महिलाओं के खिलाफ अपराध क्यों लगातार बढ़ रहे हैं, इसका हिसाब नहीं दे रहे हैं. किस आधार पर जीत का दावा कर रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए?