Pankhuri Pathak Yogi Sarkar

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने वाले हैं. लेकिन कुछ उसे कुछ ही महीनों पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कैबिनेट विस्तार करने जा रही है. योगी सरकार का यह आखिरी कैबिनेट विस्तार होगा. चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट विस्तार को लेकर योगी सरकार पर तमाम तरह के आरोप भी लग रहे हैं.

कहा जा रहा है कि हार के डर से जातीय समीकरण बिठाने के लिए चुनाव से ठीक पहले योगी मंत्रिमंडल विस्तार कर रहे हैं, ताकि हार की संभावनाओं को टाला जा सके. उत्तर प्रदेश में जाति और धर्म के नाम पर पिछले कुछ दशकों में जनता वोट करती रही है. इसलिए तमाम राजनीतिक पार्टियां जाति और धर्म का समीकरण बिठाकर ही अपनी चुनावी तैयारियों की शुरुआत करती हैं. बीजेपी भी चुनाव से ठीक पहले यही काम कर रही है. ताकि हर जाति के लोगों को ध्यान में रखकर चुनावों में जाया जा सके.

हालांकि 2017 का विधानसभा चुनाव ध्रुवीकरण के बलबूते धर्म के नाम पर बीजेपी ने एकतरफा जीत लिया था. लेकिन इस बार भी 2017 की जीत को बीजेपी दोहरा ले जाएगी इसकी संभावनाएं कम है. क्योंकि इस बार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के सामने परेशानियां कई हैं. रोजगार को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की लगातार आलोचना हो रही है.

महामारी के दौर में जिस तरह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई नजर आई उसको लेकर भी योगी सरकार चारों तरफ घिरी नजर आई. पश्चिमी यूपी के किसान बीजेपी को सबक सिखाने के मूड में पहले से ही बैठे हुए हैं. मुजफ्फरनगर की किसान पंचायत में किसानों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को संदेश दे दिया है कि इस बार किसान बीजेपी के साथ नहीं है.

क्योंकि लंबे समय से किसान तीनों कृषि के कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी मानने को तैयार नहीं है. अब योगी सरकार कैबिनेट विस्तार कर रही है, ताकि जातियों का समीकरण बिठाकर चुनावी नैया पार की जा सके.

योगी सरकार के कैबिनेट विस्तार को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया की उपाध्यक्ष पंखुड़ी पाठक (Pankhuri Pathak) ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि, सुना है योगी जी मंत्री मंडल विस्तार कर चुनाव से पहले जातीय समीकरण साधने का बड़ा प्रयास कर रहे हैं. सच कहते हैं, यह जाति है कि जाती ही नहीं. उत्तर प्रदेश की दुर्दशा कर भाजपा क्या जातीय तुष्टिकरण से सत्ता बचा पाएगी ??

आपको एक बार फिर से बता दे कि उत्तर प्रदेश की जनता लंबे समय से जाति और धर्म के नाम पर वोट करती रही है. लेकिन रोजगार के नाम पर लंबे समय तक उत्तर प्रदेश पर शासन करने वाली तमाम पार्टियों ने उत्तर प्रदेश की जनता को कुछ भी नहीं दिया. क्योंकि शायद उन्हें भी पता है कि उत्तर प्रदेश की जनता को रोजगार से कहीं अधिक जाति और धर्म के नेता और उनकी पार्टियां प्रिय हैं. सपा बसपा और बीजेपी ने बारी-बारी से उत्तर प्रदेश में सरकारे चलाई हैं.

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