मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे उस वक्त कश्मीर (Kashmir) की समस्याओं के लिए केंद्र की सरकार को जिम्मेदार ठहराते थे, कश्मीर के लोकल नेताओं को जिम्मेदार ठहराते थे. बीजेपी के तमाम समर्थक भी कई सालों से व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के माध्यम से यही फॉरवर्ड करते रहे हैं कि कश्मीर की समस्याओं के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है, कश्मीर में जिन पार्टियों की सरकारें रही हैं वह पार्टी और उसके नेता जिम्मेदार है.
2014 का चुनाव प्रचार भी कश्मीर मुद्दे (Kashmir issue) को लेकर जिस हद तक हुआ था उसमें यही बताया गया था कि कश्मीर के लोकल नेताओं ने और कांग्रेस की सरकार ने अपने फायदे के लिए कश्मीर को बर्बाद कर दिया. धारा 370 हटाई गई उस समय यह प्रचारित किया गया कि नेहरू ने जो गलती की थी उसको हम सुधार रहे हैं.
धारा 370 (Article 370) हटाने के बाद यह कहा गया कि कश्मीर से आतंकवाद का नामोनिशान मिट जाएगा. व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के माध्यम से जिन को जानकारी नहीं थी उन को मूर्ख बनाया गया, ऐसे प्रसारित किया गया जैसे कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में था, धारा 370 के हटने के बाद भारत ने उसे जीत लिया है और अब कश्मीर में अमन शांति बहाल होगी.
बीजेपी के चरणों में नतमस्तक मीडिया ने धारा 370 हटाने के बाद कश्मीरियों को जो अधिकार मिले हैं उनके हनन होने के बावजूद, कश्मीरी धारा 370 हटाने के बाद एक तरह से कैदी की तरह जिंदगी जी रहे थे, मूलभूत सुविधाओं को छीन लिया गया था, इंटरनेट सेवाएं बंद थी, इन सब के बावजूद मीडिया इसे प्रधानमंत्री मोदी का मास्टर स्ट्रोक बता रहा था और अमित शाह को अभी तक का सबसे मजबूत गृह मंत्री बता रहा था.
कहा गया था कि कश्मीर में अब अमन शांति आएगी. नोटबंदी के वक्त भी यही कहा गया था कि, आतंकवादियों की कमर टूट जाएगी. लेकिन धारा 370 हटने के बावजूद, नोटबंदी के बावजूद कश्मीर में लगातार आतंकवादी हमले होते रहे. हमारे सैनिक शहीद होते रहे, वहां के लोकल पुलिस वालों को आतंकवादियों ने निशाना बनाया और उसके बाद वहां के आम नागरिकों को निशाना बनाना शुरू किया और फिर कश्मीर के अंदर जो दूसरे प्रदेशों के लोग रह रहे हैं उनको निशाना बनाना शुरू किया. लेकिन मीडिया बीजेपी से सवाल नहीं कर रही है.
जिस वक्त कश्मीर से पलायन शुरू हुआ था उस वक्त केंद्र में वीपी सिंह के नेतृत्व में तीसरे मोर्चे की सरकार थी, जो बीजेपी के सहयोग से चल रही थी. जम्मू-कश्मीर में जगमोहन राज्यपाल थे. कश्मीर में कत्लेआम हुआ लेकिन आज उस कत्लेआम को लेकर बीजेपी से सवाल नहीं होता है कि, आखिर उसके समर्थन से चल रही सरकार में ऐसा कैसे हुआ? जगमोहन राज्यपाल थे इसके बावजूद ऐसा कैसे हुआ?
कश्मीर में हुए कत्लेआम को लेकर अधिकतर युवाओं के मन में यही डाला गया कि उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है, जबकि कांग्रेस की सरकार थी ही नहीं. जिस वक्त कश्मीरी पंडित पलायन को मजबूर हुए थे और जो कत्लेआम हुआ था वह सरकार बीजेपी के सहयोग से चल रही थी. लेकिन कश्मीरी पंडितों को लेकर सवाल कांग्रेस से पूछे जाते हैं. बीजेपी जब विपक्ष में थी उस समय कश्मीर की समस्याओं के लिए कांग्रेस को दोष देती थी, कश्मीर के लोकल नेताओं को जिम्मेदार बताती थी.
आज बीजेपी (BJP) जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटा चुकी है, नोटबंदी भी हो चुकी है, कश्मीर को तोड़कर केंद्र शासित प्रदेशों में बदला जा चुका है. वहां पूरी तरीके से बीजेपी का कब्जा है. इन सब के बावजूद कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं लगातार हो रही है, सैनिक लगातार शहीद हो रहे हैं, आम नागरिकों को आतंकवादी अपना निशाना बना रहे हैं. लेकिन मीडिया सवाल बीजेपी से नहीं कर रही है, जिम्मेदार बीजेपी को नहीं बता रही है.
अब केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है, तथाकथित विश्व गुरु के हाथ में पूरा कश्मीर है, लेकिन कश्मीर में जारी समस्याओं के लिए जिम्मेदार कौन है? किसी को कुछ पता नहीं. जिस गृहमंत्री को मीडिया ने अब तक का सबसे मजबूत गृह मंत्री बताया था, उसकी जिम्मेदारी कश्मीर को लेकर क्या है? किसी को कुछ पता नहीं. कोई सवाल जवाब नहीं हो रहा है.
कहीं ऐसा तो नहीं कि कश्मीरी पंडितों की आड़ लेकर बीजेपी ने और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक रोटियां सेकी थी? धारा 370 हटा कर कश्मीर को कश्मीर के लोकल नेताओं को और कांग्रेस को जनता के सामने बदनाम करने की कोशिश तो नहीं थी बीजेपी की तरफ से? आखिर कश्मीर को लेकर बीजेपी, मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह से, मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी से सवाल कब होंगे?