मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तभी से वह अपने भाषणों के लिए जाने जाते हैं. 2014 का लोकसभा चुनाव भी उन्होंने अपने भाषणों के दम पर ही जीता था. प्रधानमंत्री मोदी के पास भाषण देने की, अपनी बात को जनता तक पहुंचाने की एक अलग ही कला है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने अपने भाषणों में कई बार बताया है कि वह शुरुआती दिनों में चाय बेचा करते थे, हालांकि अपने अमेरिका दौरे पर उन्होंने अपनी ही बात से पलटी मारते हुए कहा कि अपने पिता की दुकान पर हेल्प किया करते थे, डायरेक्ट चाय बेचा करते थे यह बात इस बार उन्होंने नहीं की.
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) जहां भी जाते हैं, जिस राज्य में चुनावी रैली करते हैं उस राज्य से अपना नाता जोड़ लेते हैं, उस राज्य का बेटा खुद को बताने लगते हैं. जिससे जनता का जुड़ाव होता चला जाता है. जनता हालांकि सवाल करने नहीं जाती कि आप किस तरह इस राज्य के बेटे हैं या फिर दूसरी पार्टियों के नेताओं का संबंध इस राज्य से नहीं है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने कई बार खुद को दलित बताया है, दलितों का बेटा बताया है, खुद को गरीब बताया है. कई बार उन्होंने कहा है कि उनकी मां दूसरों के घरों में बर्तन मांझा करती थी. मोदी जी ने कई बार बताया है कि वह शुरुआती शिक्षा के बाद घर छोड़ कर चले गए थे और लगभग 35 साल तक उन्होंने भिक्षा मांग कर जीवन यापन किया. लेकिन क्या कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहते हुए सुने गए हैं कि, उन्होंने कितने साल तक गरीबों की तरह मजदूरी की है या फिर कितने साल तक प्राइवेट सेक्टर में जॉब की है या फिर कितने साल तक गवर्नमेंट नौकरी के लिए तैयारी की है?
क्या प्रधानमंत्री मोदी अपने मुंह से यह कहते हुए पाए गए हैं कि उन्होंने कितने साल तक खेती किसानी की है? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी किसी चुनावी रैली में या फिर राष्ट्र के नाम संबोधन में अपनी मेहनत के दम पर किए गए किसी कार्य का जिक्र किया है? कभी उन्होंने कहा है कि मैं 9-10 घंटे या 12 घंटे खेतों में बिताता था या फिर नौकरी करता था?
देश में इस वक्त प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति के पास नौकरी करने का तजुर्बा नहीं है, खेती किसानी करने का तजुर्बा नहीं है या देश की खातिर किसी चीज को कुर्बान करने का कोई तजुर्बा नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों के लिए लोकप्रिय हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों के जरिए जनता को सम्मोहित करने का काम कर सकते हैं, लेकिन किसानों की समस्या क्या होती है?
जब युवाओं के पास प्राइवेट सेक्टर का रोजगार होता है और सरकार की नीतियों के कारण उनका रोजगार चला जाता है तो वह किस तकलीफ का सामना करते हैं इसका एहसास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को शायद इसीलिए नहीं है, क्योंकि उन्होंने कभी मेहनत नहीं की. उन्होंने खुद कहा कि उन्होंने भिक्षा मांगी, मां बर्तन मांजने जाती थी. मेहनत के दम पर जिंदगी का गुजारा उन्होंने नहीं किया है उनकी बातों से पता चलता है.
गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस समय जनता के टैक्स के पैसे पर मुख्यमंत्री भवन में रहते थे. जनता के टैक्स के पैसे पर ही सरकार चलाते थे और खुद प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं दूसरे मुख्यमंत्री और इससे पहले भी जो प्रधानमंत्री हुए हैं वह भी जनता के टैक्स के पैसे पर ही जीवन यापन करते थे.
उसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, उसवक्त भी जनता के टैक्स के पैसे का ही सहारा. जब घर की जिम्मेदारियां थी तो मां काम करती थी, पिता चाय की दुकान चलाते थे और मोदी जी घर छोड़ कर चले गए भिक्षा मांगने. शायद मेहनत के दम पर काम करने का तजुर्बा उन्होंने हासिल नहीं किया कभी.
Excellent exploration