केंद्र सरकार की “अग्निपथ योजना” (Agneepath scheme) को लेकर बवाल शुरू हो गया है. इसका सबसे ज्यादा विरोध बिहार में देखा जा रहा है. बिहार में आज दूसरा दिन है जब इस योजना को लेकर हंगामा हो रहा है. बुधवार को कई इलाकों में विरोध देखने को मिला. बक्सर और बेगूसराय से लेकर मुजफ्फरनगर तक युवाओं का प्रदर्शन जारी है. बिहार के जहानाबाद जिले में आज सुबह से ही हंगामा शुरू हो गया है.
आज सुबह से सैकड़ों युवा पटरी के सामने खड़े हो गए हैं. कल भी बक्सर में 100 से ज्यादा युवाओं ने पटरी पर बैठकर धरना प्रदर्शन किया था, जिस कारण जन शताब्दी एक्सप्रेस की आवाजाही आधे घंटे तक प्रभावित रही. बिहार में जो युवा अग्नीपथ योजना का विरोध कर रहे हैं, यह वह युवा है जो सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं. युवाओं का कहना है कि उन्होंने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर लिया है. लेकिन 2 साल से सेना में भर्ती नहीं हो रही है, जिससे उनका भविष्य खतरे में आ गया है.
बिहार की मीडिया का दावा है कि बक्सर में पाटलिपुत्र एक्सप्रेस पर युवाओं ने पत्थरबाजी की थी, हालांकि आरपीएफ इंस्पेक्टर दीपक कुमार और जीआरपी एएसएचओ रामाशीष प्रसाद ने न्यूज़ एजेंसी को बताया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है. मुजफ्फरनगर में सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं ने चक्कर मैदान के पास टायर जलाकर अपना विरोध किया. बेगूसराय में भी अभ्यर्थियों ने महादेव चौक पर प्रदर्शन किया और अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग की.
विरोध क्यों हो रहा है?
सेना में भर्ती रुकी होने से बिहार में लंबे वक्त से बवाल हो रहा है. पिछले महीने दरभंगा जिले में अभ्यर्थियों ने आगजनी करके प्रदर्शन किया था. नाराज अभ्यर्थियों का कहना है कि महामारी का हवाला देकर 2 साल से लिखित परीक्षा नहीं ली जा रही है. उनका कहना है कि महामारी में सारे काम हो रहे हैं, लेकिन सेना में भर्ती के लिए लिखित परीक्षा नहीं हो रही है.
आपको बता दें कि हर साल लाखों युवा सेना में जाने की तैयारी करते हैं. लेकिन महामारी के कारण 2 साल से सेना में भर्ती रुकी हुई है. भारतीय सेना में भर्ती के लिए सेना रैलियों का आयोजन करती है. इस रैली में युवा हिस्सा लेते हैं और उसके बाद कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता है. इसी साल 25 मार्च को लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया था कि 2020-21 में 97 रैलियां आयोजन करने की योजना थी, जिसमें 47 ही हुई और सिर्फ चार के लिए ही एंट्रेंस हुआ.
वही 2021-22 में 47 रैलियां करना था, लेकिन सिर्फ चार ही हो सकी और एक भी एंट्रेंस टेस्ट नहीं हुआ. महामारी के चलते जहां सेना में भर्ती अटकी रही लेकिन नौसेना और वायु सेना में भर्ती जारी रही. 31 मार्च को राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि 2 साल तक सेना में भर्ती नहीं हुई है. लेकिन इसी दौरान नौसेना में 8319 और वायु सेना में 13032 भर्तियां हुई है.
भर्ती रुकी होने के कारण कई साल से सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं के भविष्य पर भी तलवार लटक गई है. युवाओं का आरोप है कि उन्होंने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर लिया है. लेकिन भर्ती परीक्षा नहीं होने से वह ओवरेज हो जा रहे हैं और बाद में सेना में भर्ती के लिए योग्य नहीं रहेंगे. सेना में भर्ती के लिए 23 साल की आयु सीमा है.
इसके अलावा आपको बता दें कि राहुल गांधी ने भी इसको लेकर आज फिर ट्वीट किया है.
न कोई रैंक, न कोई पेंशन
न 2 साल से कोई direct भर्ती
न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य
न सरकार का सेना के प्रति सम्मान
देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2022
आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में तकरीबन 12 करोड़ के आसपास आबादी है. यहां की 88% से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है. यहां की 34% आबादी ऐसी है जो गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करती है. इस गरीबी से निकलने के लिए यहां के युवा सेना में जाने की तैयारी पहले शुरू कर देते हैं. लेकिन उनका कहना है कि सरकार की इस योजना से उनको झटका लगा है.