राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इस वक्त भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं. इस यात्रा को भारी समर्थन जनता द्वारा मिल रहा है. इस यात्रा से बीजेपी कहीं ना कहीं परेशान नजर आ रही है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व राहुल गांधी को मिल रहे जनसमर्थन से बेचैन नजर आ रहा है. इसी कड़ी में मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की कुछ मुस्लिम चेहरों से मुलाकात कई इशारे कर रही है. दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को 5 मुस्लिम बुद्धिजीवियों से बंद कमरे में मुलाकात की है. इसकी चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में है.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को कांग्रेस राजनीतिक रूप से कम व्यापक सामाजिक रूप से अधिक प्रचारित कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि देश में इस वक्त नफरत का माहौल है और समाज को धर्म के आधार पर बांट दिया गया है. सामाजिक नफरत सर चढ़कर बोल रही है और इसी को खत्म करने के लिए लोगों के बीच आपसी सौहार्द्र को फिर से कायम करने के लिए यह यात्रा निकाली जा रही है, ताकि लोगों को आपस में जोड़ा जा सके नफरत को खत्म किया जा सके.
दरअसल लंबे वक्त से मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से निकलकर क्षेत्रीय पार्टियों के हाथों में चला गया था. क्षेत्रीय पार्टियां कई सालों से मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जा जमाए हुए थी और इसका सीधा लाभ पिछले 8 सालों से बीजेपी को मिल रहा था. मुस्लिम वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस को नहीं मिल रहा था, यह क्षेत्रीय पार्टियों में जा रहा था. हिंदू वोट बैंक का एक हिस्सा जरूर कांग्रेस को मिल रहा था लेकिन बड़ा हिस्सा बीजेपी की तरफ जा रहा था. कांग्रेस के वोट के बिखराव का बीजेपी को सीधा मिल रहा था और वह चुनाव जीत रही थी.
लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है. हर धर्म के लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है और फिर से अगर मुस्लिम वोट बैंक का झुकाव कांग्रेस की तरफ हुआ तो यह बीजेपी के लिए काफी मुश्किल पैदा कर सकता है, खासतौर पर 2024 के लोकसभा चुनाव में और शायद इसीलिए राष्ट्रीय संघ सेवक प्रमुख मोहन भागवत लगातार बड़े मुस्लिम चेहरों से मुलाकात कर रहे हैं. यह कहीं ना कहीं दर्शाता है कि राहुल गांधी की इस यात्रा से संघ भी बेचैन है.
बीजेपी की इस वक़्त सबसे बड़ी चिंता मुस्लिम वोट है. बीजेपी को डर है कि मुस्लिम वोट कहींं वापिस कांग्रेस की तरफ़ न चला जाये. बीजेपी को मालूम है कि जब तक मुस्लिम वोट क्षेत्रीय दलोंं मिलता रहेगा वो सत्ता में आराम से बने रहेंगे. पसमांदा से नई नई मोहब्बत के पीछे भी यही कारण है. अभी तक बीजेपी इस नेरेटिव के सहारे चल रही थी कि उसे मुस्लिम वोट चाहिये ही नहीं लेकिन यूपी चुनाव के बाद से होश उड़े हुये हैं. इन्हे संकेत मिल गया है कि लोकसभा चुनाव में रुझान कांग्रेस की तरफ हो रहा है.