भारतीय मीडिया में पिछले कुछ सालों से जिस तरह की डिबेट देखने को मिल रही है उससे लगातार नफरत को बढ़ावा मिल रहा है, ऐसे आरोप कुछ लोग मीडिया पर लगाते रहते हैं. मीडिया की डिबेट पर अगर गौर किया जाए तो अधिकतर वही मुद्दे होते हैं जिस पर हिंदू और मुसलमान को लेकर चर्चा हो, हिंदू और मुसलमानों की पूजा पद्धति को लेकर चर्चा हो.
भारतीय मीडिया पर होने वाली इन डिबेट्स में एक तरफ बीजेपी के प्रवक्ता होते हैं और उन्हीं के साथ कुछ संघ विचारक होते हैं तथा दूसरी तरफ दूसरी पार्टियों के प्रवक्ता होते हैं और जो तीसरा व्यक्ति होता है वह कोई मौलाना होता है. इन डिबेट्स के पैटर्न पर अगर गौर किया जाए तो दोनों तरफ से धार्मिक मुद्दों को उछालाा जाता हैं और डिबेट को पूरी तरीके से सांप्रदायिक बनाया जाता है, ताकि टीआरपी गेेन की जा सके. लेकिन इसका असर कहीं ना कहीं सोशल मीडिया से लेकर समाज तक पड़ता है.
सोशल मीडिया से लेकर समाज तक यह आवाज लंबे समय से उठ रही है कि आखिर यह मौलाना किसके इशारे पर जाते हैं? इसी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार और एंकर रवीश कुमार ने एक सोशल मीडिया पोस्ट लिखी है. इसके साथ-साथ उन्होंने अपने प्राइम टाइम में भी इस मुद्दे को उठाया है.
रवीश कुमार ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि गोदी मीडिया के कुछ मौलाना खुद से आते हैं या वह सत्ता के किसी अदृश्य शक्ति के इशारे पर आते हैं, खुद को खराब तरीके से पेश करने के लिए. ताकि दूसरे तरफ को यह कहने का मौका मिले कि देखो कैसे बोलते हैं. सुनने वाले को लगे कि यह लोग ऐसे होते हैं. ताकि इनके बारे में जो घृणा फैल गई है वह लोगों की निगाह में सही लगे.
रवीश कुमार ने आगे लिखा है कि, कुछ मौलाना इस भूमिका को निभाने जाते हैं. हो सकता है कि इन्हें सत्ता का कोई गुप्त संरक्षण मिला हो या कोई और बात हो. बाकी अगर नफरत को डिबेट से हटा देंगे तो गोदी डिबेट में बचेगा क्या? आप किसी एक शो को केवल उस दिन के शो की नजर से मत देखिए. कई सारे शो को मिलाकर देखिए. एक अकेला शो चुनेंंगे तो हो सकता है कि किसी शो में यह पत्रकारिता की बात करने लगे और किसी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की. बाकी अब आप उसी स्तर पर हैं जहां से कुछ नहीं हो सकता. गोदी मीडिया ऐसे ही रहेगा और करोड़ों लोग देखने वाले वैसे ही रहेंगे
आपको बता दें कि लंबे समय से सोशल मीडिया से लेकर समाज तक यह मांग हो रही है कि ऐसे हिंदू मुस्लिम और संप्रदायिक मुद्दों वाले डिबेट शो बंद हो. इसके अलावा मुस्लिम यह लगातार मांग कर रहे हैं कि मौलाना ऐसे संप्रदायिक डिबेट शो में जाना बंद करें. लेकिन मीडिया में ऐसे मौलाना जरूर दिख जाते हैं जो दूसरी तरफ वालों को यह मौका दें कि वह बोल सके कि देखो यह लोग किस तरीके से हमारे देवी देवताओं का अपमान करते हैं या फिर हमारे धर्म के बारे में बोलते हैं.