मध्यप्रदेश में नगर निकाय चुनाव के नतीजे आ गए हैं. यह नतीजे बीजेपी के लिए जश्ने नहीं बल्कि टेंशन पैदा करने वाले हैं. पिछली बार प्रदेश की सभी 16 नगर निगमों में बीजेपी का कब्जा था, लेकिन इस बार उसे तगड़ा झटका लगा है. पार्टी के हाथ से 7 सीटें चली गई है. सिर्फ 9 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. बीजेपी ने पहले चरण में 7 शहरों में मेयर का चुनाव जीता था. दूसरे चरण की गिनती में आज सिर्फ दो शहरों में जीत मिली है. कांग्रेस ने 5, निर्दलीय 1, आम आदमी पार्टी 1 शहर में मेयर का चुनाव जीती है.
चंबल में सिंधिया तोमर पर भारी पड़ी है कांग्रेस
बीजेपी के लिए कटनी में बड़ा उलटफेर हुआ है. यहां बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ी प्रीति सूरी ने महापौर का चुनाव जीता है. इसके अलावा इस चुनाव में मध्य प्रदेश बीजेपी के दिग्गजों के किले भी ध्वस्त हो गए हैं. निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा हैरानी दिग्गज नेताओं के प्रभाव वाले क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों की पराजय से हुई है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर में बीजेपी प्रत्याशी मेयर का चुनाव हार गई, तो नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाले मुरैना में भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा.
मुरैना में हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. ग्वालियर चंबल इलाके में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव ज्यादा है. इसलिए बीजेपी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बनी थी. बावजूद इसके कांग्रेस ने इस शहर में महापौर की कुर्सी पर कब्जा कर लिया है. बीजेपी की मीना मुकेश जाटव को कांग्रेस की शारदा सोलंकी ने हरा दिया. मुकेश को तोमर का करीबी माना जाता है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कमान संभाल रखी थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी प्रचार किया था. कांग्रेस प्रत्याशी के लिए कमलनाथ प्रचार करने पहुंचे थे. नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी प्रचार किया था.
मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने का नुकसान भी बीजेपी को उठाना पड़ा है. जहां जहां बीजेपी के मेयर प्रत्याशी हारे हैं. वहां निगमों में बीजेपी के पार्षद बड़ी संख्या में जीते हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि यदि कमलनाथ सरकार के महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के फैसले को शिवराज सरकार नहीं पलट तीसरा तो कई और निगमों में बीजेपी के मेयर बन सकते थे. बीजेपी भले इसे अपनी जीत बता रही हो लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि इससे पहले सभी 16 नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा था.
कांग्रेस ने रीवा मेयर सीट बीजेपी से छीन ली है. रीवा में कांग्रेस के अजय मिश्रा बाबा ने बीजेपी के प्रमोद व्यास को 10,282 मतों से हराकर मेयर का चुनाव जीता है. रीवा में महापौर पद पर विपक्षी दल ने कई वर्षों के बाद जीत हासिल की है. इसके अलावा मुरैना में कांग्रेस की शारदा सोलंकी ने बीजेपी की मीना मुकेश जाटव को 14,631 वोटों से हराकर जीत हासिल की है. मुरैना नगर निगम मुरैना लोकसभा सीट का हिस्सा है, यहां से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं.
नगर पंचायत चुरहट में कांग्रेस ने 15 सीटों में से 10 सीटों पर सफलता हासिल की है. बीजेपी 16 सीटों पर सिमट कर रह गई है. वहीं 2 सीटों पर निर्दलीयों ने अपना कब्जा जमाया है. आपको बता दें कि चुरहट विधानसभा क्षेत्र से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश बीजेपी के महामंत्री एवं चुरहट के विधायक सतेंद्र तिवारी ने भी अपनी इज्जत बचाने की कोशिश की थी, लेकिन बीजेपी कामयाब नहीं हुई.
वही बात अगर सीधी जिले की एक नगर पालिका एवं तीन नगर पंचायत की की जाए तो आए चुनाव परिणाम में सीधी नगर पालिका में कांग्रेस पार्टी ने शानदार वापसी करते हुए बीजेपी से यह सीट छीन ली है. जबकि चुरहट नगर पंचायत में कांग्रेस पार्टी का ही नगर पंचायत अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है.
बीजेपी के लिए खतरे की घंटी?
मध्य प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने जीता था, कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन जोड़-तोड़ की राजनीति करके बीजेपी ने सरकार बना ली. सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर लिया और उनके समर्थक विधायकों ने मिलकर कांग्रेस की सरकार को गिरा दिया. उसके बाद मध्यप्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनी. लेकिन अभी आए निकाय चुनाव के नतीजों ने जरूर बीजेपी के माथे पर बल ला दिया है. सिंधिया के आने से बीजेपी ने सरकार तो बना ली, लेकिन जनता का रुझान कहीं ना कहीं स्पष्ट बीजेपी के साथ दिखाई नहीं दे रहा है.
अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है और उससे पहले निकाय चुनाव को मध्य प्रदेश का सेमीफाइनल माना जा रहा था और बीजेपी इसमें बड़ी जीत हासिल करने में नाकाम रही है. बीजेपी से कांग्रेस ने ऐसी सीटें छीन ली है जो बीजेपी का गढ़ हुआ करती थी, बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी और इसी वजह से कांग्रेस खेमे में जश्न का माहौल भी दिखाई दे रहा है. कहीं ना कहीं कांग्रेस को यह उम्मीद दिखाई दे रही है कि अगर जमीन पर कांग्रेस के नेताओं ने मेहनत कर दी तो आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस सत्ता से बेदखल कर सकती है.