भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) इकलौती ऐसी राजनीतिक पार्टी दिखाई देती है जिसमें अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होते हैं. हालांकि यह बात सच है कि लंबे समय से सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आसीन रही हैं, लेकिन वह भी सर्वसम्मति से रही हैं. सोनिया गांधी से पहले भी चुनाव हुए हैं अध्यक्ष पद के लिए और सोनिया गांधी के सामने भी उम्मीदवार उतरे थे चुनाव लड़ने के लिए. अब एक बार फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनावों के लिए सरगर्मियां तेज हो गई हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने सोनिया गांधी से मुलाकात की है और बताया जा रहा है कि उन्होंने सोनिया गांधी से अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी है. उन्हें सोनिया गांधी से अनुमति मिल भी चुकी है. सोनिया गांधी मना भी क्यों करेंगी उन्हें? क्योंकि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पुरानी परंपरा रही है बड़े-बड़े नेता यह चुनाव जीते हैं और हारे भी हैं. शशि थरूर G-23 के सदस्य रहे हैं. और कांग्रेस के अंदर बदलाव की मांग को लेकर आवाज भी उठाते रहे हैं.
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के समर्थन में अभी भी आवाज उठ रही है कि वह अध्यक्ष बन जाए, लेकिन राहुल लगभग साफ कर चुके हैं कि वह अध्यक्ष नहीं बनेंगे और गांधी परिवार से भी कोई भी व्यक्ति इस पद के लिए सहमति नहीं देगा. ऐसे में अब यह साफ हो चुका है कि शशि थरूर अध्यक्ष पद के चुनाव में ताल ठोकेंगे. लेकिन देखा जाए तो यह अध्यक्ष पद का चुनाव उनके लिए आसान नहीं होने वाला है. हालांकि गांधी परिवार ने उन्हें साफ कर दिया है कि गांधी परिवार किसी के भी नाम की पैरवी नहीं करेगा और गांधी परिवार की तरफ से कोई नाम भी आगे नहीं किया जाएगा.
शशि थरूर अगर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ते हैं तो उनके सामने निश्चित तौर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का नाम होगा. यह लगभग साफ हो चुका है कि गहलोत भी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इसके अलावा भी अगर कुछ नाम आगे आते हैं तो यह मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 24 सितंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और यह 30 सितंबर तक चलेगी.
पहले यह माना जा रहा था कि अशोक गहलोत निर्विरोध कांग्रेस के अध्यक्ष घोषित किए जा सकते हैं लेकिन अब शशी थरूर के आ जाने से यह निश्चित हो चुका है कि अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कांग्रेस के अंदर होगा और यह मुकाबला काफी दिलचस्प होगा. दूसरी तरफ सुनने में यह भी आ रहा है कि अशोक गहलोत अरविंद केजरीवाल के फार्मूले को आगे बढ़ाना चाहते हैं. यानी वह अगर कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो इसके साथ-साथ वह राजस्थान के मुख्यमंत्री भी बने रहें. हालांकि कांग्रेस के अंदर एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला उनके लिए अड़चनें खड़ी कर सकता है.