संसद के अंदर बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पर आरोप लगाया कि वह महिला विरोधी हैं. स्मृति ईरानी लगातार संसद में चीखती रहीं. बीजेपी के तमाम सांसदों ने और महिला सांसदों ने संसद के अंदर सोनिया गांधी को महिला विरोधी साबित करने की कोशिश की और यह सब कुछ हुआ अधीर रंजन चौधरी के बयान के बाद. बाद में उन्होंने राष्ट्रपति से लिखित चिट्ठी में माफी मांगी. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर अगर गौर किया जाए तो बहुत कुछ उजागर हुआ है. कांग्रेस के विरोधियों को छोड़ दिया जाए तो सोनिया गांधी ने जिनके लिए किया वही इस मुद्दे पर कुछ बोले नहीं.
महिला विरोधी होने का ठप्पा सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पर स्मृति ईरानी ने लगाने की कोशिश की. उस सोनिया गांधी पर उन्होंने महिला विरोधी होने का आरोप लगाया जिस सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा में पास करवा दिया था. महिला आरक्षण बिल को लेकर सोनिया गांधी यूपीए की सरकार में सबसे ज्यादा एक्टिव रही. उनका कहना था कि महिलाओं को यह अधिकार मिलना चाहिए. महिलाओं के लिए महिला आरक्षण बिल बहुत जरूरी है. महिला आरक्षण बिल सोनिया गांधी किसके लिए चाह रही थीं? महिला आरक्षण बिल को लेकर जो महिला सबसे ज्यादा उत्सुक थी और जिसने राज्यसभा में इसे पास भी करवा दिया था क्या वह महिला विरोधी हो सकती हैं?
सबसे ज्यादा निराश किसने किया?
पूरा गांधी परिवार बीजेपी के निशाने पर तो हमेशा से रहा है. लेकिन 2014 के बाद से बीजेपी ने गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए तमाम मर्यादाओं को लांघ दिया है. स्मृति ईरानी ने जिस तरीके से संसद के अंदर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) का नाम ले लेकर उनको महिला विरोधी बताने की कोशिश की उससे कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. 2014 के बाद से राजनीति का स्तर गिर चुका है. लेकिन इस पूरे मामले पर बीजेपी को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस की महिला नेताओं ने सबसे अधिक निराश किया है. उन महिलाओं ने निराश किया है, जिनको सोनिया गांधी ने आगे बढ़ाया.
कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के वक्त देश को प्रतिभा पाटिल के रूप में पहली महिला प्रधानमंत्री मिले इसमें सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) का बहुत बड़ा योगदान था लेकिन क्या प्रतिभा पाटिल ने इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी? प्रतिभा पाटिल को चुप नहीं रहना चाहिए. बताना चाहिए कि उन्हें क्या क्या कहा गया. इस तर्क में कोई जान नहीं है कि पूर्व राष्ट्रपति को नहीं बोलना चाहिए. उनके बाद के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर तक चले गए थे और हेडगेवार को भारत का महान सपूत बता आए थे. हमला सोनिया गांधी पर हुआ है. प्रतिभा पाटिल को याद रखना चाहिए कि कितना विरोध था. मगर सोनिया गांधी ने पहली महिला राष्ट्रपति बनाने का मन बन लिया था.
डॉ. कर्ण सिंह भी एक मजबूत उम्मीदवार थे. लेकिन सोनिया (Sonia Gandhi) ने पहले 2007 में महिला राष्ट्रपति और फिर 2009 में मीरा कुमार को पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनाया. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को जिस वक्त महिला विरोधी बताया जा रहा था उस वक्त मीरा कुमार भी चुप थीं. उन्होंने भी आगे आकर सोनिया गांधी का बचाव नहीं किया. जबकि उनको आगे आना चाहिए था. पिछली बार भी उनको राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया था यूपीए की तरफ से. लेकिन वह भी इस पूरे मुद्दे पर निराश कर गईं. सोनिया गांधी ने महिलाओं को कांग्रेस के अंदर आगे बढ़ाया है लेकिन जिन को उन्होंने आगे बढ़ाया वहीं इस मुद्दे पर पूरी तरीके से खामोश थीं, जो काफी निराश करने वाला था.
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) यूपीए की चेयरपर्सन थीं. प्रधानमंत्री का पद ठुकरा चुकी थी. प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी ग्रहण ना करें इसके लिए सुषमा स्वराज ने तरह-तरह के बयान दिए थे 2004 में और कहा था कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बन जाती हैं तो वह लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगी और जमीन पर सोएंगीं, बाल मुंडवा लेंगीं. चने खाकर जीवन यापन करेंगी. इस हद तक सोनिया गांधी का सुषमा स्वराज ने विरोध किया था. लेकिन सुषमा स्वराज के देहांत के बाद सोनिया गांधी उनके घर गई थीं. और सुषमा स्वराज की बेटी से गले लग कर उनको सांत्वना दी थी. सोनिया गांधी ने तो कभी विपक्षियों के लिए भी द्वेष नहीं रखा. फिर स्मृति ईरानी इतना बड़ा आरोप लगा कर चली गईं. लेकिन बीजेपी की ही दूसरी महिला सांसदों ने कुछ नहीं बोला और कांग्रेस की भी उन महिलाओं ने कुछ नहीं बोला जिनको सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अंदर तमाम विरोधों के बावजूद आगे बढ़ाया था.
इस वक्त विपक्ष की तरफ से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गेट अल्वा हैं. उनको भी यह चुनाव सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ही लड़ा रही हैं, जबकि वह भी सोनिया गांधी की विरोधी रही हैं. क्या वह सोनिया के अपमान पर क्या कुछ बोलीं? सोनिया का वो बयान क्या किसी को याद है कि, मेरी ही पार्टी के कई पुरुष सदस्य महिला आरक्षण बिल के विरोधी हैं. मगर मैं इसे पास कराने के लिए कटिबद्ध हूं. और राज्यसभा में पास करके दिखाया भी. उन सोनिया पर महिला विरोधी होने के आरोप पर कांग्रेस कि ही नहीं बाकी दलों की महिला नेताओं को भी बोलना चाहिए. ममता, मायावती या जैसा कि नजमा का बताया इन सब पर जब भी व्यक्तिगत हमले हुए सोनिया ने पार्टी पॉलिटिक्स से हटकर सब का साथ दिया. सुषमा स्वराज ने बहुत नीचे गिर कर विरोध किया. मगर उनके दुख में भी साथ खड़ी हुईं, लेकिन सोनिया गांधी के साथ कौन खड़ा हुआ?