यूक्रेन रूस (Ukraine Russia) के बीच यु’द्ध की शुरुआत हो चुकी है. रूसी सेना के शुरुआती कार्यवाही ने ही यूक्रेन में तबाही मचा दी है. यूक्रेन ने भी दावा किया है कि उसने रूस के छह प्लेन मार गिराए हैं, इसके अलावा 50 रूसी सैनिकों को मार गिराया है और दो टैंक भी नष्ट कर दिया है. अगर यूक्रेन के दावे को सच मान भी लिया जाए तो यह रूस को रोकने के लिए काफी नहीं है.
इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल इस वक्त बरकरार है और वह सवाल यह है कि क्या अमेरिका अफगानिस्तान की तरह यूक्रेन में भी अपनी सेना भेजेगा, ताकि रुस का मुकाबला किया जा सके? जानकारों की मानें तो इस सवाल का जवाब ना है और इसकी वजह भी है. रूस एक महाशक्ति है सच्चाई तो यह भी है कि मौजूदा हालात में यूक्रेन उसके सामने कहीं नहीं टिकता है.
यूक्रेन दुनिया के सभी देशों से मदद की गुहार लगा रहा है लेकिन उसकी मदद के लिए जमीनी तौर पर अभी तक कोई नहीं पहुंचा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस के वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन अब तक उन्होंने यूक्रेन को सैन्य मदद देने का ऐलान नहीं किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति रूस पर आगे और प्रतिबंध लगा सकते हैं. लेकिन वह रूस से युद्ध के लिए अपनी सेना नहीं भेजेंगे ऐसा जानकारों का मानना है.
जानकारों का मानना है कि अमेरिका यूक्रेन की मदद के लिए सेना भेजने का रिस्क नहीं लेगा. रूस एक महाशक्ति है, यही कारण है कि अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन में अपनी सेना भेजने के लिए राजी नहीं है. जिस तरह से यूक्रेन की सीमाओं पर उसने 200000 सैनिक तैनात कर दिए हैं वह साफ दर्शाता है कि रूस आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. ऐसे हालात में यूक्रेन को खुद ही पीछे हट चाहिए और रूस से बातचीत कर इस मामले को सुलझाना चाहिए.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने यूक्रेन पर हमले को यूरोप के इतिहास का टर्निंग प्वाइंट बताया है. उनका कहना है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के हमारे जीवन के लिए गहरे स्थाई परिणाम होंगे. उन्होंने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस को एक अडिग प्रतिक्रिया की चेतावनी दी. जिसे उन्होंने यूरोपीय इतिहास के में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में वर्णित किया.