उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव शुरू होने से पहले से ही पूरी बीजेपी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर हमलावर नजर आ रही थी. बीजेपी मुद्दों पर चुनाव कम ही लड़ती हुई नजर आई है. लेकिन कहीं-कहीं पर बीजेपी को मजबूर किया है समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मुद्दों पर बात करने के लिए. प्रधानमंत्री मोदी ने आवारा पशुओं पर भी बात की तथा कुछ जगहों पर विकास के मुद्दे पर भी बात करते नजर आए.
कुछ जगहों को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी चुनावी मुद्दों की पटरी से उतरती हुई नजर आई तीसरे चरण के मतदान के दिन तक और आगे भी यही उम्मीद है कि बीजेपी मुद्दों पर कम ही बात करेगी. बीजेपी ने उत्तर प्रदेश चुनाव के बीचो बीच तमाम ध्रुवीकरण की कोशिशों के बाद आतंकवाद का मुद्दा उछाल दिया है. करहल में वोटिंग से 2 दिन पहले बीजेपी का पूरा अमला अखिलेश यादव पर टूट पड़ा था.
बीजेपी की तरफ से अखिलेश यादव पर बेहद संगीन इल्जाम लगाए गए, आतंकवादियों से रिश्तों और उन्हें बचाने तक का इल्जाम लगाया गया. यह पहला मौका नहीं है जब विपक्षियों पर हमले करने के लिए बीजेपी और बीजेपी के नेता इतने निचले स्तर तक आ गए हैं.
इससे पहले भी पश्चिम बंगाल और दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खुद ऐसी गलतियां हो चुकी है और जिसका खामियाजा पूरी बीजेपी को भुगतना पड़ा था. दिल्ली में तो बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था और पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने के सपने धराशाई हो गए थे.
अखिलेश यादव और उनकी पार्टी का कनेक्शन आतंकवादियों से जोड़ने वाली बीजेपी को उत्तर प्रदेश की जनता क्या सबक देती है, यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा. लेकिन अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल को आतंकवाद से जोड़ने का जवाब बड़ी शालीनता से और गहरा दिया है, जिसकी गूंज शायद बीजेपी को लंबे समय तक याद रहेगी.
अखिलेश यादव ने ट्विटर के जरिए एक ट्वीट किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि, खेत और किसान को जोड़ कर उसकी समृद्धि की नींव रखती है, हमारी साइकल, सामाजिक बंधनों को तोड़ बिटिया को स्कूल छोड़ती है, हमारी साइकल, महंगाई का उसपर असर नहीं, वो सरपट दौड़ती है, हमारी साइकल, साइकल आम जनों का विमान है, ग्रामीण भारत का अभिमान है, साइकल का अपमान पूरे देश का अपमान है.
खेत और किसान को जोड़ कर उसकी समृद्धि की नींव रखती है, हमारी साइकल,
सामाजिक बंधनों को तोड़ बिटिया को स्कूल छोड़ती है, हमारी साइकल
महंगाई का उसपर असर नहीं, वो सरपट दौड़ती है, हमारी साइकल,
साइकल आम जनों का विमान है, ग्रामीण भारत का अभिमान है, साइकल का अपमान पूरे देश का अपमान है। pic.twitter.com/Nf1Bq2XtjE
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 20, 2022
निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल को आतंकवाद से जोड़ने की भूल की कीमत 10 मार्च को बीजेपी को चुकानी पड़ सकती है. साइकिल को अखिलेश यादव ने हर जरूरतमंद, गरीब और देश के निचले तबके से जोड़ दिया है. ट्विटर पर भी साइकिल के समर्थन में ट्रेंड चल रहे हैं. शायद ही प्रधानमंत्री मोदी ने सोचा हो कि उनकी तुकबंदी उनकी पार्टी के लिए आने वाले चरणों में मुसीबत खड़ी कर सकती है.
पहले और दूसरे चरण में बीजेपी को काफी नुकसान बताया जा रहा है और तीसरे चरण के बीच में ही प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से साइकिल, जो चुनाव चिन्ह है समाजवादी पार्टी का उसको आतंकवाद से जोड़ने की तुकबंदी गरीब तबके को आहत कर सकती है. अखिलेश यादव भी प्रधानमंत्री मोदी के बयान का यही मतलब बताने में लगे हुए हैं. कहीं ना कहीं यह बयान प्रधानमंत्री मोदी का दिल्ली में दिए गए “कपड़ों से पहचानने’ वाले बयान और “दीदी ओ दीदी” की तरह बैक फायर कर सकता है.