अब तो मान ही लीजिए कि भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR बिल गेट्स समर्थित फॉर्मा कम्पनियों के हाथों बिक चुका है.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने फॉर्मा कंपनी डॉ. रेड्डी के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें कंपनी ने रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक V के भारत में तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति मांगी थी. आखिर भारत में रूस की वैक्सीन के ट्रायल को अनुमति देने में दिक्कत कहां है और क्या है?
अब DCGI कह रहा है कि रूस पहले इस वैक्सीन के भारत में पहले और दूसरे चरण के ट्रायल कराए. अच्छा तो अब जरा कोई ये पता करके बताइये कि क्या यही शर्त उसने एस्ट्राजेन्का की ऑक्सफोर्ड वाली वैक्सीन के सामने भी रखी थी? जवाब है नहीं, उसका भी सीधे तीसरे चरण का ही ट्रायल हो रहा है. अब चूंकि एस्ट्राजेन्का के भी सिर्फ तीसरे चरण के ही परीक्षण भारत मे सीरम कंपनी द्वारा करवाए जा रहे हैं, तो उसके बारे में तो DGCI बिल्कुल चुप रहता है. तो फिर हमें कोई यह समझाए कि आखिरकार रूस की वैक्सीन से समस्या क्या है? ऐसा दोहरा रवैया क्यों?
इस सरकार में सबको समान अवसर क्यों नहीं दिए जा रहे आखिर? तीसरे चरण के परिणाम तो आपके सामने ही आएंगे. यदि परिणाम सही नहीं आते तो वैक्सीन बेचने और टीका लगाने की अनुमति आप मत देना लेकिन पहले अभी परीक्षण तो करने दो. पर नहीं, यहां तो पहले से ही तय कर लिया है कि रूसी वैक्सीन नहीं आनी चाहिए. पहले से ही सब सेटिंग तय कर ली गई है. या फिर कहीं सरकार को यह डर है कि यदि रूस की वैक्सीन सफल हो गयी तो महँगी एस्ट्राजेन्का की वैक्सीन कौन खरीदेगा और कौन लगवाएगा, क्यों लगवाएगा?
ऐसे तो बिग फॉर्मा कंपनियों का सारा खेल ही खराब हो जाएगा, क्योंकि रूस तो अपने नागरिकों को फ्री में वैक्सीन लगा रहा है लेकिन यह बिग फॉर्मा कंपनियां वैक्सीन बना कर जम के मुनाफा कूटने की तैयारी कर रही है. जब से ये रूस की वैक्सीन सामने आई है, उसके बारे में हर किस्म का दुष्प्रचार किया जा रहा है. लेकिन बिल गेट्स समर्थित फॉर्मा कंपनियों की वैक्सीन के बारे कोई बुरे परिणाम भी सामने आते है तो पूरा मीडिया उसके बचाव में लग जाता है. आखिर ये सब किसके इशारे पर हो रहा है? इसमें किसका फायदा है?
यह खेल हम लगातार कई महीनों से देख रहे हैं और आपको इसके बारे में आगाह कर रहे हैं कि बिग फॉर्मा कोरोना की आड़ में मल्टी मिलियन-बिलियन का मुनाफा बनाने को तैयार है और भारत जैसे बड़े-बड़े देशों की सरकारें चुपचाप उनका साथ दे रही हैं. कोरोना के पीछे एक बहुत बड़ा वैश्विक षड्यंत्र काम कर रहा है.
इसका भेद आज भले ही नहीं खुलेगा लेकिन एक न एक दिन ये राज सबके सामने खुलेगा जरूर. उस दिन कई देशों में कई लोगों का राजनैतिक और व्यापारिक-समाजिक कैरियर तबाह हो जाएगा. भारत के विषय में भी यही कहना है कि यहां कोरोना की आमद से ही एक घिनौनी साजिश चल रही है और पूरा प्रयास है कि इसका लाभ सिर्फ उन्हें ही मिले जिन्होंने हर बार ढूंढ़ा है आपदा में अवसर.