उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर (Chintan Shivir) चल रहा है. इस शिविर में शामिल नेताओं के बीच असंतोष भी देखने को मिल रहा है. उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी को चलाने के लिए पैसे नहीं है, कॉरपोरेट्स भी फंडिंग नहीं देते हैं. पार्टी के कार्यक्रम के लिए पैसे नहीं मिल रहे हैं. उनका कहना है कि शिविर में कई अहम मुद्दों पर बात नहीं हो रही है.
असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष को लेकर भी स्थिति साफ नहीं की जा रही है. नेताओं में अध्यक्ष को लेकर अलग-अलग रहा देखने को मिल रही है. कुछ नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन नहीं करना चाहिए, इससे यूपी-बिहार जैसे राज्यों में नुकसान हुआ और पार्टी का संगठन खत्म हो गया.
इस चिंतन शिविर में कुछ नेताओं की शिकायत है कि आरएसएस से मुकाबले के लिए इस तरह के सामाजिक संगठन बने जिसके जरिए कांग्रेस लोगों के घरों तक पहुंचे और लोगों के काम आए. आरएसएस के पास कॉलेज, अस्पताल सब कुछ है और कांग्रेस के पास दफ्तर तक नहीं है. वही कार्यकर्ताओं को लेकर शिविर में बात नहीं हो रही है, जिला पंचायत समिति पर कोई चिंता नहीं हो रहा है.
पार्टी के कई नेताओं का कहना था कि विवादित मुद्दों पर कांग्रेस के नेता अलग-अलग भाषा बोलते हैं. पार्टी का भी स्टैंड समझ में नहीं आता है, जिससे पार्टी का मजाक बनता है. कुछ नेताओं का कहना है कि न्याय योजना 2019 के चुनाव में देरी से लाया गया और इसलिए हम उसे समझा नहीं पाए.
कुल मिलाकर पार्टी फंडिंग को लेकर जो आवाज उठी है वह महत्वपूर्ण है. क्योंकि पिछले 8 सालों में सबसे अधिक फंडिंग अगर किसी राजनीतिक पार्टी को उद्योगपतियों द्वारा की गई है तो वह बीजेपी है. कांग्रेस लगातार इस मामले में पिछड़ रही है. पैसे की कमी के कारण कांग्रेस प्रचार में भी पीछे हो रही है और जनता के बीच पहुंच भी नहीं पा रही है. जिस तरह से मौजूदा सरकार में शामिल बीजेपी कर रही है.