मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में आशीर्वाद रैली को संबोधित करते हुए जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की यह काफी पुरानी मांग है, जिसे सरकार बनने पर हम पूरा करेंगे. इसका भीड़ ने समर्थन भी किया. एक दिन पहले ही सपा मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सहारनपुर में किसान फंड बनाने की घोषणा की थी.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले छह दशक से हाईकोर्ट बेंच की मांग शिद्दत से उठ रही है. पिछले चार दशक से अधिवक्ता हर शनिवार हड़ताल कर रहे हैं. अब इसमें माह का दूसरा बुधवार भी जोड़ दिया गया है. 1980 के लोकसभा चुनाव के बाद अभी तक किसी भी राजनीतिक दल में हाईकोर्ट बेंच देने का वादा खुले मंच से करने का साहस नहीं दिखाया.
खुद जयंत चौधरी के पिता चौधरी अजित भी खुले मंच से इसका वादा नहीं कर सके. 1980 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और मेरठ से कांग्रेस की प्रत्याशी मोहसिना किदवाई ने वादा किया था. लेकिन पूर्वांचल के दबाव में यह मांग पूरी न हो सकी. इसी दबाव में सभी राजनीतिक दल हाईकोर्ट बेंच के मुद्दे से अपने को सार्वजनिक रूप से अलग करते रहे हैं.
बड़ा सियासी मुद्दा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सियासी गणित में अधिवक्ताओं की भी बड़ी भूमिका रहती है. चौधरी चरण सिंह से लेकर तमाम बड़े राजनेता अधिवक्ता भी रहे हैं. जयंत चौधरी ने मुजफ्फरनगर में अपने दादा (स्व.चौधरी चरण सिंह) को याद करते हुए कहा…यह देश चौधरी चरण सिंह की नीतियों पर ही चल सकता है. हाईकोर्ट बेंच का मुद्दा उछालकर जयंत ने अधिवक्ताओं का समर्थन पाने की कवायद की है जिसका अपना राजनीतिक गणित भी है. रालोद ने बुंदेलखंड का नाम जोड़कर वहां भी अपने मंसूबे बता दिए हैं.
आसान नहीं है राह
हाईकोर्ट बेंच बनाया जाना इतना आसान भी नहीं है. सामान्य प्रक्रिया यह है कि प्रदेश सरकार, विधान मंडल से पास कराकर प्रस्ताव केंद्र को भेजे. तब प्रदेश के हाईकोर्ट से रिपोर्ट ली जाती है. उसके बाद केन्द्र सरकार संसद से कानून बनाकर हाईकोर्ट बेंच की स्थापना कर सकती है. वरिष्ठ अधिवक्ताओं का तर्क यह भी है कि संसद चाहे तो सीधे कानून बनाकर हाईकोर्ट बेंच का गठन कर सकती है. कारण उत्तर प्रदेश कोई नए राज्यों की परिभाषा में नहीं आता है, राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में यह अब तक संभव नहीं हो पा रहा है.
वर्ष 1955 में पहली बार वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की मांग उठी थी और बड़े स्तर पर 1978 में एक महीने की हड़ताल और भूख हड़ताल कर मांग को जोरों से उठाया गया. फिर वर्ष 1981, 1982 में भी बेंच की मांग को बुलंद किया गया. 1986-87 में ऋषिकेश से दिल्ली तक पद यात्रा निकाली गई. तब उत्तराखंड भी यूपी का हिस्सा हुआ करता था.
वर्ष 2001, 2014, 2015, 2017 और अब 2021 में भी हाईकोर्ट बेंच की मांग को बुलंद किया जा रहा है. तमाम आंदोलन के बाद भी आज तक हाई कोर्ट बेंच नहीं मिल सकी. हाईकोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति संयोजक महावीर सिंह त्यागी ने कहा कि जयंत चौधरी ने यदि ऐसा कहा है तो हम उनका इस बात का स्वागत करते हैं जो भी सरकार बेंच की मांग का समर्थन करेगी अधिवक्ता हित की बात करेगी हम उनके साथ खड़े होंगे.