शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देकर सबको चौंका दिया है. सरकार हाथ से निकल जाने के बाद अब उद्धव ठाकरे के सामने सवाल पार्टी पर नियंत्रण बचाए रखने का है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला उन्होंने इसी वजह से लिया है.
शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे इन दिनों रोज पार्टी के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. कभी विभाग प्रमुखों से मिलते हैं, कभी सांसदों से तो कभी विधायकों से. बीते सोमवार को पार्टी के सांसदों के साथ हुई बैठक के बाद मंगलवार को ठाकरे ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन करेगी. इस फैसले के पीछे उन्होंने अपने आदिवासी शिव सैनिकों की ओर से की गई मांग का हवाला दिया.
उद्धव ठाकरे ने मुर्मू को समर्थन देने के पीछे जो भी कारण बताया हो. लेकिन राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे असली कारण कुछ और ही है और ठाकरे नहीं चाहते कि सरकार चले जाने के बाद पार्टी भी उनके हाथ से निकल जाए. दरअसल जिस तरीके से शिवसेना के अंदर बगावत हुई है, उसको देखते हुए ऐसा लग रहा है कि उद्धव ठाकरे ने एक तरह से बागी विधायकों के सामने सरेंडर कर दिया है
जिस तरीके से बीजेपी नचाना चाहती है उस तरीके से वह नाच रहे हैं और इसके पीछे वजह सिर्फ यही है कि वह पार्टी को हाथ से नहीं जाने देना चाहते. उद्धव ठाकरे किसी भी सूरत में यह नहीं चाहते कि पार्टी सिंबल या फिर पार्टी उनके हाथ से निकल जाए. इसलिए उन्होंने मजबूरी में आकर एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है.