मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर लगभग 1 साल तक चले किसान आंदोलन का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कोई असर नहीं दिखा. जिस गाजीपुर बॉर्डर पर यह आंदोलन चला उसी इलाके की साहिबाबाद सीट से बीजेपी प्रत्याशी ने पूरे देश में सबसे ज्यादा 2 लाख 14 हजार वोटों से जीत दर्ज करके एक रिकॉर्ड बना दिया है.
किसान आंदोलन में छाए रहे किसान नेता राकेश टिकैत के गृह जनपद में 6 में से 2 सीटें बीजेपी को चली गई. जयंत चौधरी अपने गृह जनपद बागपत में 3 में से महज एक सीट ही अपनी पार्टी को दिला पाए. कुल मिलाकर पश्चिमी यूपी में समाजवादी रालोद गठबंधन को सिर्फ 12 सीटें मिली हैं. जिस लखीमपुर खीरी की सबसे ज्यादा चर्चा थी उस जिले में आठों सीटें बीजेपी के खाते में चली गई.
बताया जा रहा है कि चुनावों तक किसान आंदोलन का मुद्दा पूरी तरीके से खत्म हो चुका था. पश्चिमी यूपी में इसका कोई असर नहीं था. चुनावों के समय जाट वोटों में जमकर बिखराव हुआ. कुछ पुरुष वोटरों ने बीजेपी के विपक्षी दलों को सपोर्ट किया. लेकिन ज्यादातर महिलाएं सुशासन के मुद्दे पर बीजेपी के साथ दिखाई दी. माना जा रहा है कि ऐसी ही कुछ वजह बीजेपी की जीत में अहम रही.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीत के बाद कहा है कि राष्ट्रवाद, सुशासन, सुरक्षा, विकास के मुद्दे पर यह जीत मिली है. उत्तर प्रदेश में 3 दशक के बाद ऐसा हुआ है जब किसी राजनीतिक दल ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है.