रवीश कुमार (Ravish Kumar) जनता के मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं. इसके साथ-साथ वह सत्तापक्ष की मनमानी पर भी बेबाकी से अपनी राय रखते हुए अभी तक नजर आए हैं. मौजूदा सत्ता पक्ष के नेता और समर्थक रवीश कुमार को पसंद नहीं करते हैं, यह हर कोई जानता है. रवीश के कार्यक्रमों में बीजेपी के नेताओं ने डिबेट करना भी बंद कर दिया था. लेकिन कुमार लगातार सत्ता से सवाल निडर होकर पूछते रहे है.
सत्ता पक्ष की नाकामियों से पर्दा उठाना किसी भी पत्रकार का काम होता है और रवीश कुमार यह बखूबी करते हुए नजर आते हैं. दूसरे पत्रकार जहां सत्ता के चरणो में नतमस्तक नजर आते हैं वही रवीश सत्तापक्ष की आंख में आंख डालकर सवाल करते रहते हैं और यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता जनता के बीच लगातार बढ़ रही है. रवीश कुमार सोशल मीडिया के माध्यम से भी विपक्ष तथा जनता की आवाज को बखूबी उठाते हैं.
एक बार फिर से रवीश कुमार ने विपक्ष की आवाज को उठाते हुए सत्ता पक्ष पर सवाल उठाए हैं. रवीश कुमार ने ट्वीट किया है कि, जुमलाजीवी असंसदीय? शर्म असंसदीय? संसद में भ्रष्ट, विश्वासघात, पाखंड, ड्रामा असंसदीय होगा? इन शब्दों के बग़ैर विपक्ष कैसे विरोध करेगा, सत्ता पक्ष के लोगों को निबंध लिख कर बताना चाहिए. यह ख़बर अमर उजाला में छपी है. आज़ादी का अमृत महोत्सव मुबारक.
जुमलाजीवी असंसदीय? शर्म असंसदीय? संसद में भ्रष्ट, विश्वासघात, पाखंड, ड्रामा असंसदीय होगा? इन शब्दों के बग़ैर विपक्ष कैसे विरोध करेगा, सत्ता पक्ष के लोगों को निबंध लिख कर बताना चाहिए। यह ख़बर अमर उजाला में छपी है। आज़ादी का अमृत महोत्सव मुबारक। pic.twitter.com/iXf4VYfoFN
— ravish kumar (@ravishndtv) July 14, 2022
आपको बता दें कि मोदी सरकार कहती रही है कि वह सभी की आवाजों को सुनना पसंद करती है. लेकिन लगातार ऐसी खबरें समय समय पर आती रहती हैं जिससे पता चलता है कि इस सरकार में जनता की आवाज को, विपक्ष की आवाज को जबरदस्ती कुचलने की कोशिश हो रही है. इस सरकार में कई मामले ऐसे देखने को मिले हैं जिसमें सरकार की आलोचना करने वालों को कुचलने की कोशिश हुई है.
आपको बता दें कि बीजेपी जब विपक्ष में थी तब उसके बड़े-बड़े नेता इन्हीं शब्दों के सहारे उस समय की मौजूदा सरकार पर हमले करते थे तथा जनता की समस्याओं को संसद में उठाते थे. अब उन्हीं शब्दों को मौजूदा मोदी सरकार में असंसदीय करार दे दिया गया है. जाहिर सी बात है मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का विरोध भी बड़े स्तर पर दिखाई देने वाला है.