चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को लेकर मीडिया में इस वक्त तमाम तरह की चर्चाएं हैं. प्रशांत किशोर के नाम पर मीडिया खूब खबरें परोस रहा है. प्रशांत किशोर ने आज तक चैनल पर एक इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने पिछले दिनों कांग्रेस के साथ हुई उनकी बातचीत को लेकर खुलकर बात की है. प्रशांत किशोर ने सोनिया गांधी पर भी बात की है, राहुल गांधी पर भी बात की है. इसके अलावा कांग्रेस को लेकर भी अपनी बात रखी है.
दरअसल प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने आज तक चैनल के कार्यक्रम थर्ड डिग्री में पिछले दिनों कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ हुई उनकी मीटिंग को लेकर चर्चा की और एक तरह से देखा जाए तो प्रशांत ने इस इंटरव्यू में खुद को विक्टिम बताने की कोशिश की है या फिर जनता द्वारा सहानुभूति लेने की कोशिश की है और इसी के सहारे मीडिया को एक बार फिर से गांधी परिवार, खास तौर पर राहुल गांधी के खिलाफ बोलने के लिए मसाला दे दिया है.
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने इस कार्यक्रम में कहा है कि कांग्रेस को किसी पीके की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि मीडिया मुझे जरूरत से ज्यादा बड़ा बना कर दिखा रही है. मेरा कद, किरदार इतना बड़ा नहीं है कि राहुल गांधी मुझे भाव दें. कांग्रेस को किसी पीके की जरूरत नहीं, खुद फैसला ले सकते हैं.
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा कि मुझे जो कांग्रेस को बताना था वह मैंने बता दिया है. अब उनकी मर्जी है कि वह उस पर काम करते हैं या नहीं. प्रशांत किशोर ने कहा कि जो लीडरशिप का फार्मूला मैंने कांग्रेस को दिया था उसमें न ही राहुल गांधी थे और न ही प्रियंका गांधी. अब ऐसे में इस पर किसका नाम था प्रशांत किशोर ने इसका खुलासा नहीं किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से बातचीत में नेता को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.
क्या इसके पीछे कोई षड्यंत्र है?
पिछले कुछ दिनों से चर्चा लगातार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की मीडिया में हो रही है, अखबारों में भी उनको लेकर तमाम तरह के आर्टिकल छप रहे थे. एक तरह से प्रशांत किशोर को बहुत बड़ा बना कर दिखाया जा रहा था और यह जताने की कोशिश की जा रही थी कि प्रशांत किशोर ही है जो कांग्रेस को फिर से सत्ता में ला सकते हैं. बाकी कांग्रेस के नेताओं के पास, खासतौर पर गांधी परिवार के पास इतना वजूद नहीं बचा है कि वह जनता को कांग्रेस की तरफ मोड़ सके.
प्रशांत किशोर ने जो फार्मूला दिया था और इंटरव्यू में भी जो बताया, उसके हिसाब से कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बनना चाहिए. लेकिन जो प्रशांत किशोर सलाह दे रहे हैं यही बात तो बीजेपी के नेता, खासतौर पर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व तथा उसके समर्थक और बीजेपी सरकार के चरणो में नतमस्तक मीडिया भी कहती आ रही है. फिर प्रशांत किशोर और बीजेपी के नेताओं की सोच में क्या फर्क था?
प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों एक मीडिया चैनल में इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि प्रधानमंत्री मोदी से उनके व्यक्तिगत संबंध है और अभी भी उनकी बात होती है. तो क्या यह नहीं माना जाना चाहिए कि जो काम बीजेपी आरएसएस और मीडिया नहीं कर पाई, यानी गांधी परिवार के खिलाफ जिस तरह का अभियान चलाया गया और कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया गया (कांग्रेस मुक्त भारत के नारे का मतलब गांधी परिवार मुक्त कांग्रेस या यूं कहें कि अध्यक्ष के पद पर गैर गांधी) उसमें सफलता न मिलने पर उस काम को अंजाम प्रशांत किशोर के जरिए देने की कोशिश की गई और असफलता हाथ लगी?
प्रशांत किशोर को मीडिया खूब कवरेज दे रहा है पिछले कुछ दिनों से और 2014 के बाद देखा गया है कि मीडिया पर सिर्फ बीजेपी का कब्जा है. विपक्ष के नेताओं को वह तवज्जो नहीं मिलती है जो बीजेपी के नेताओं को मिलती है और प्रशांत किशोर तो किसी पार्टी से भी नहीं जुड़े हैं. तो क्या यह मान लेना चाहिए कि प्रशांत किशोर के जो इंटरव्यू लगातार हो रहे हैं और जो खबरें उनको लेकर लीक हो रही थी या फिर उनके द्वारा करवाई जा रही थी वह सब कुछ PMO के इशारे पर हो रहा था या फिर बीजेपी के इशारे पर हो रहा था?
बीजेपी के नेताओं के बयानों के आधार पर, खास तौर पर बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बयानों के आधार पर मीडिया लगातार गांधी परिवार को बदनाम करता रहा है. लेकिन इस बार मीडिया को यह मौका किसी और ने नहीं बल्कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दे दिया है.
आज तक चैनल पर दिए गए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर भी एक बात कही है. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की जो छवि 2002 के वक्त थी उसमें और 2022 में बहुत फर्क है. इसके अलावा प्रशांत किशोर ने कहा है कि हो सकता है ऐसे ही राहुल गांधी की छवि भी बदल जाए और ऐसा हो सकता है. तो प्रशांत किशोर राहुल गांधी की छवि को लेकर क्या कहना चाह रहे थे? क्या प्रशांत किशोर मीडिया के जरिए राहुल गांधी पर कटाक्ष कर रहे थे या फिर यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि अगर उनकी शर्तों पर उन्हें कांग्रेस में शामिल किया जाता है तो वहीं राहुल गांधी की छवि बदल सकते हैं? अभी छवि खराब है?