मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को 7897 वोट मिले हैं. वहीं शशि थरूर (Shashi Tharoor) को 1072 वोटों से संतोष करना पड़ा है. कांग्रेस अध्यक्ष पद का यह चुनाव काफी दिलचस्प था. लोगों में भी इसको लेकर काफी उत्सुकता देखने को मिली. हालांकि शशि थरूर कैंप की तरफ से इस चुनाव में धांधली के आरोप भी लगाए गए. लेकिन नतीजों में बड़ा अंतर देखने को मिला है और मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह चुनाव बड़े अंतर से जीत लिया है.
मलिकार्जुन खड़गे के चुनाव जीतने पर शशि थरूर ने उन्हें बधाई भी दी है.
It is a great honour & a huge responsibility to be President of @INCIndia &I wish @Kharge ji all success in that task. It was a privilege to have received the support of over a thousand colleagues,& to carry the hopes& aspirations of so many well-wishers of Congress across India. pic.twitter.com/NistXfQGN1
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 19, 2022
कांग्रेस पार्टी के इतिहास में छठी बार पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ. आजादी के बाद से पार्टी की कमान ज्यादातर समय गांधी परिवार के हाथों में रही या फिर सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चुनाव होता रहा. लेकिन गांधी परिवार ने जब यह फैसला किया कि वह पार्टी अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल नहीं होंगे तो इस पद के लिए 2 दावेदार बने मलिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर.
राजनीतिक विश्लेषकों और पार्टी के अंदरूनी लोगों के मुताबिक नए अध्यक्ष के सामने कई चुनौतियां होंगी. सबसे बड़ी चुनौती पार्टी पर अपना नियंत्रण कायम करने की होगी, अपना सिक्का जमाना, अपनी बात मनवा पाना बड़ी चुनौती होगी. कई विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी की असली ताकत अभी भी गांधी परिवार के पास ही रहेगी. कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष निश्चित तौर पर गांधी परिवार से सलाह मशवरा करके ही निर्णय लेंगे. लेकिन जहां तक रिमोट कंट्रोल का सवाल है तो अब नहीं लगता कि गांधी परिवार ऐसा करेगा. गांधी परिवार खुद फैसलों के लिए नेताओं को पार्टी के नए अध्यक्ष के पास भेजेगा.
नए अध्यक्ष के सामने अपना सिक्का जमाने की, अपनी बात मनवाने की चुनौती इसलिए होगी क्योंकि अभी भी पार्टी के अंदर कई ऐसे पुराने नेता मौजूद हैं जो गांधी परिवार की बात भी सुनने के लिए तैयार नहीं होते थे. उन नेताओं पर कंट्रोल करना, उन्हें पार्टी लाइन के हिसाब से चलाना नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौती होगी. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक नए पार्टी अध्यक्ष पर गांधी परिवार के फैसले अब थोपे नहीं जाएंगे. राहुल गांधी को जानने वाले भी इस बात को मानते हैं. निश्चित तौर पर राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए मेहनत कर रहे हैं. लेकिन अगर वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं बने हैं तो वह फैसले भी जबरदस्ती नहीं करवाएंगे.
इतना जरूर कहा जा सकता है कि नए अध्यक्ष निश्चित तौर पर राहुल गांधी से सलाह लिए बिना काम नहीं करेंगे. एक सामंजस्य बिठाकर कांग्रेस पार्टी आगे बढ़ती हुई आने वाले दिनों में दिखाई देगी. कांग्रेस के कई बड़े नेता जिसमें पी. चिदंबरम भी शामिल हैं, ने पिछले दिनों कई मीडिया चैनलों से बातचीत में कहा है कि रिमोट कंट्रोल वाली बात बिल्कुल गलत है. जो लोग भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के स्वभाव को जानते हैं उन्हें यकीन है कि रिमोट कंट्रोल जैसी कोई बात नए अध्यक्ष को लेकर नहीं होगी.
कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने की होगी, जिसमें हिमाचल प्रदेश और गुजरात अहम माने जा रहे हैं. इसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी अगले साल चुनाव होने हैं. इन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनवा कर एक बार फिर से कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर से खड़ा करने की चुनौती नए अध्यक्ष के कंधों पर होगी और इसमें निश्चित रूप से राहुल गांधी का मजबूत साथ नए अध्यक्ष को मिलेगा.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस वक्त कांग्रेस की हालत हद से ज्यादा खराब है और निश्चित तौर पर कांग्रेस को संस्थाओं का साथ नहीं मिल रहा है, मीडिया का साथ नहीं मिल रहा है. लेकिन इसके बावजूद राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस को एक बार फिर से जिंदा करने की कोशिश की है और इसमें काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिली है. विश्लेषक कहते हैं कि पार्टी की हालत इस वक्त खराब है. उसे मौजूदा संकट से निकालना और पार्टी में जमीनी स्तर पर ऊर्जा पैदा करना नए अध्यक्ष के सामने एक चुनौती होगी और इसमें भी उसे राहुल गांधी का साथ जरूर मिलेगा.