महाराष्ट्र में बड़ी राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रही है. एक ओर केंद्रीय एजेंसी ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर सियासी तपन भी लगातार बढ़ रही है. मंगलवार को दिन में ईडी ने शिवसेना नेता संजय राउत पर कार्रवाई कर उनकी संपत्ति कुर्क की. तो वहीं दूसरी तरफ रात में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के डिनर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी पहुंच गए.
पार्टी में संजय राउत सहित दूसरे कई नेता भी मौजूद थे. अगली सुबह बुधवार को शरद पवार दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने पहुंच गए. यह मुलाकात काफी लंबी थी. महाराष्ट्र में शरद पवार ने मंगलवार को विधायकों को रात के खाने पर बुलाया था. सभी दलों के नेता संसद में प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली में जुटे हैं.
पार्टी में ईडी की कार्रवाई पर क्या बात हुई?
मंगलवार को दिन में ईडी ने संजय राउत पर कार्रवाई की जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसियों पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उन पर सरकार गिराने का दबाव बनाया जा रहा है, मना करने पर बदले के तहत उन पर कार्यवाही की जा रही है. शिवसेना नेता ने रात में नितिन गडकरी के साथ डिनर किया. क्या वहां ईडी की कार्रवाई पर बात हुई?
डिनर पार्टी में मौजूद एक एनसीपी विधायक के हवाले से खबरों में बताया जा रहा है कि, इस डिनर में संजय राउत पर हुई कार्रवाई से जुड़ी कोई चर्चा नहीं हुई है. लेकिन क्या यह संभव है?
मोदी पवार मुलाकात
रात में डिनर पार्टी के बाद अगले ही दिन शरद पवार संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री मोदी से मिले. कांग्रेस के विधायक महाराष्ट्र सरकार के रवैए से पहले ही नाराज चल रहे हैं. नाराज विधायकों ने सोनिया गांधी से सरकार की शिकायत भी की है. उधर पवार महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की कुछ नीतियों को लेकर भी मुखर हो चुके हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और शरद पवार की मुलाकात को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं.
सूत्रों की अगर मानें जाए तो प्रधानमंत्री मोदी और शरद पवार के बीच महाराष्ट्र के मुद्दों के अलावा केंद्रीय जांच एजेंसियों को लेकर बातचीत हुई है. इस मुलाकात को लेकर ऐसे ही कयास नहीं लगाए जा रहे हैं. इसी साल फरवरी में प्रधानमंत्री मोदी ने पवार की खूब तारीफ की थी. मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के समापन भाषण में तीन बार शरद पवार का उल्लेख किया था.
2014 में महाराष्ट्र में बीजेपी ने शरद पवार की पार्टी की मदद से ही राज्य में सरकार बनाई थी. तब बीजेपी को 123, शिवसेना को 62, कांग्रेस को 42 और एनसीपी को 41 सीट मिली थी. बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 22 विधायकों की जरूरत थी. तब शरद पवार ने सार्वजनिक रूप से बीजेपी को समर्थन दिया था.
लंबे समय से बीजेपी पर आरोप लग रहे हैं कि वह महाराष्ट्र की सरकार को अस्थिर करना चाह रही है. हालांकि बीजेपी इन बातों को सिरे से खारिज करती है. लेकिन महाराष्ट्र सरकार में शामिल कई नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर यह बयान दिया है कि उन पर कई तरह के दबाव एजेंसियों द्वारा बनाए जा रहे हैं. संजय राउत ने तो कई बार इस बात का उल्लेख किया है कि सरकार गिराने का दबाव उन पर लगातार बनाया जा रहा है.