पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग होकर अपनी खुद की पार्टी बनाकर पटियाला अर्बन से चुनाव लड़ने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) को बुरी हार का सामना करना पड़ा है. अमरिंदर सिंह को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अजीत पाल सिंह ने लगभग 19000 के बड़े अंतर से हराया है.
इस हार से कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. दरअसल 80 वर्षीय कैप्टन पटियाला सीट से 4 बार जीते हैं. वह विधायक तो बनते रहे लेकिन जनता से उनका कनेक्शन नहीं बन पाया. कैप्टन पटियाला वासियों के लिए कभी उपलब्ध नहीं रहे, जिससे जनता लगातार नाराज होती गई. केवल पटियाला ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री रहते हुए उनसे पूरे राज्य की जनता की शिकायतें थी.
कैप्टन अपनी खुद की सीट हार बैठे, इसका सबसे बड़ा कारण यह भी रहा कि वह बीजेपी के साथ चले गए और पंजाब ने बीजेपी को हमेशा नकारा है. बीजेपी के साथ जाने का उनका निर्णय उन पर ही भारी पड़ गया और वह अपनी खुद की सीट भी गवा बैठे.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी जीत की बजाय कांग्रेस को हराने पर ज्यादा जोर दिया. कांग्रेस से अलग होने के बाद उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. पंजाब की सुरक्षा और खालिस्तान का मुद्दा उन्होंने खूब उठाया और कांग्रेस को घेरने का काम किया. लेकिन उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे से सवाल उन पर ही उठने लगे. क्योंकि ऐसा करके वह अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के ऊपर ही सवाल उठाने लगे.
अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए सक्रिय राजनीति में खुद को बनाए रखना काफी मुश्किल होने वाला है. वैसे भी कांग्रेस से अलग होने के बाद यह लड़ाई उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी थी. लेकिन इस हार ने बता दिया कि अब जनता के बीच उनकी लोकप्रियता क्या है. अमरेंद्र सिंह के लिए कांग्रेस के बिना खुद को पंजाब की सियासत में बनाए रखना आसान नहीं होगा.