लंबे समय से प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के कांग्रेस में शामिल होने की खबरें आ रही थी. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के आवास 10 जनपथ पर कई दिनों से इसको लेकर बैठ के हो रही थी. इसके बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने के ऑफर को ठुकरा दिया. प्रशांत ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि कांग्रेस को मेरी नहीं अच्छी लीडरशिप और बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है.
खबरें यहां तक भी आई कि, कांग्रेस का हाईकमान प्रशांत किशोर के प्रजेंटेशन से सहमत था और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए भी तैयार था.
फिर पेंच कहां फस गया?
प्रशांत किशोर चाहते थे कि वह कांग्रेस में शामिल होने के बाद सीधे कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट करें. प्रेजेंटेशन के बाद हाईकमान ने कमेटी बनाई और फिर एंपावर्ड ग्रुप बनाने की घोषणा कर दी. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने प्रशांत को इस ग्रुप में शामिल होकर काम करने का ऑफर दिया था, जिसे प्रशांत किशोर ने खारिज कर दिया.
यहां भी मामला फंस गया था. प्रशांत किशोर चाहते थे कि कम से कम एंपावर्ड ग्रुप का ही अध्यक्ष बना दिया जाए, जिसे सोनिया गांधी ने नामंजूर कर दिया. दरअसल एंपावर्ड ग्रुप कांग्रेस नेताओं का एक समूह है, जिसमें 2024 के आम चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी और उसकी रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी जाएगी.
गठबंधन को भी लेकर फस गया था पेंच
प्रशांत किशोर ने अपने प्रेजेंटेशन में चुनावी गठबंधन पर जोर दिया था. उन्होंने सुझाव दिया था कि कांग्रेस बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा में अकेले चुनाव लड़े तथा महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल में गठबंधन करें. प्रशांत इस पूरी योजना को लीड करना चाहते थे. लेकिन कांग्रेस का हाईकमान गठबंधन पर फैसले लेने की शक्ति अपने पास रखना चाहता था. इतना ही नहीं कांग्रेस कमेटी ने शर्त रखी थी कि पार्टी में शामिल होने के बाद प्रशांत किशोर को सभी दलों के साथ दोस्ती खत्म करनी होगी.
यह दूसरी बार है जब प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर मामला अटक गया. इससे पहले 2021 के अक्टूबर में प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की बात कही जा रही थी, लेकिन उस वक्त G-23 के नेताओं ने शामिल करने पर सवाल उठा दिया था.