यूक्रेन और रूस के युद्ध को लेकर भारत के रूप पर चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने एक लेख छपा है. चीन की सरकारी मीडिया ने लिखा है कि यह बात गौर करने वाली है कि अमेरिका से करीबी रखने वाले भारत ने यूक्रेन के मुद्दे पर अलग राय रखी है. अखबार ने लिखा है कि भारत अब समझ गया है कि आंख मूंदकर अमेरिका का अनुसरण करना खतरनाक हो सकता है.
चीन की सरकारी मीडिया ने लिखा है कि अमेरिकी पाले में ना जाने के बावजूद भी अमेरिका भारत से नाराज नहीं होगा, क्योंकि चीन को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, भारत हाल के दिनों में अमेरिका के बेहद करीब रहा है, जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं. भारत जानता है कि आंख बंद करके अमेरिका पर भरोसा करना कितना खतरनाक हो सकता है, इस कारण भारत अपनी नीति में बदलाव कर रहा है और पूर्व की तरफ मुड़ रहा है भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को अब महत्व दे रहा है.
चीन की सरकारी मीडिया ने लिखा है कि, यूक्रेन संकट भारत को ज्यादा प्रभावित करने वाला है. क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा और हथियार की जरूरतों के लिए मुख्य रूप से रूस पर निर्भर है जब भारत ने रूस से s-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद की तब अमेरिका नाराज हो गया और भारत पर प्रतिबंधों की तलवार लटकने लगी. लेकिन अमेरिका ने अभी तक भारत पर रूस से रक्षा खरीद को लेकर प्रतिबंध नहीं लगाया है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, भारत ना तो अमेरिका को नाराज करना चाहता है और ना ही रूस को और वह एक बेहद ही संवेदनशील कूटनीति पर चल रहा है. चीन की सरकारी मीडिया ने आगे लिखा है कि यह ध्यान देने की बात है कि अमेरिका अभी भी चीन को नियंत्रित करने और दबाने के लिए भारत का इस्तेमाल करना चाहता है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आया, भारत की वोटिंग में अनुपस्थिति रूस की अपेक्षा अमेरिका को नाराज करने वाली थी. लेकिन अमेरिका को भारत के इस रुख को भी झेलना होगा. पिछली आधी सदी में भारत की विदेश नीति में यह एक बड़ा बदलाव है. भारत अपनी नीतियों में सुधार कर सकता है. लेकिन भारत पूरी तरह से अपना रास्ता नहीं बदलेगा.
चीनी मीडिया ने लिखा है कि, भारत ने अपनी पारंपरिक गुटनिरपेक्ष नीति को त्याग दिया है और अमेरिका भारत को अपने खेमे में शामिल करने के लिए हर प्रयास कर रहा है. भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के लिए बहुत अधिक जगह नहीं बची है.