पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश कांग्रेस को लेकर कई तरह की बातें हुई. यह भी कहा गया कि प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में संगठन तैयार किया जा रहा है. प्रियंका गांधी विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के हर मुद्दे पर एक्टिव नजर आती थी. एक तरह से देखा जाए तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले मुद्दे उठाने के मामले पर प्रमुख विपक्षी दल हुआ करती थी. लेकिन क्या विधानसभा चुनाव में नतीजों ने कांग्रेस का मनोबल तोड़ कर रख दिया, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ कर रख दिया?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की प्रभारी थी. कहीं ना कहीं यह हार दूसरे नेताओं के साथ प्रियंका गांधी कि राजनीतिक कैरियर पर भी एक दाग की तरह है.
अब उत्तर प्रदेश कांग्रेस की तरफ से एक नया फरमान जारी हुआ है, जिसमें उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं और यह सीटें हैं आजमगढ़ तथा रामपुर. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने नोटिस जारी किया है जिसमें लिखा हुआ है कि कांग्रेस पार्टी रामपुर तथा आजमगढ़ लोक सभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. जो लेटर जारी हुआ है उसमें आगे लिखा है कि, विधानसभा के नतीजों को देखते हुए यह जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की खुद का पुनः निर्माण करें जिससे कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी स्वयं को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करें.
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि वह संगठन तैयार करेगी उत्तर प्रदेश में. तो जो प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों से संगठन तैयार हो रहा था उस संगठन का क्या होगा? क्या कांग्रेस पार्टी यह मान रही है कि प्रियंका गांधी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के अंदर कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं बढ़ा है, हालांकि वह तो विधानसभा चुनाव में ही पता चल गया था. लेकिन संगठन पूरी तरीके से ध्वस्त हो गया है प्रियंका गांधी के नेतृत्व में भी?
जिस तरह से लग रहा था कि विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पूरी क्षमता से चुनाव नहीं लड़ रही है, बल्कि कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन का सहयोग पीछे के दरवाजे से कर रही है, उसी तरीके से 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव पर भी कांग्रेस पार्टी समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रही है? क्या कांग्रेस पार्टी खुद उत्तर प्रदेश में खुद की कब्र खोदने पर पूरी तरीके से आमादा हो चुकी है?
क्या कांग्रेस के बड़े नेता खुद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ रहे हैं? क्या कांग्रेस के बड़े नेता खुद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को दूसरी पार्टियों की तरफ रुख करने के लिए मजबूर कर रहे हैं? अगर कांग्रेस पार्टी चुनाव ही नहीं लड़ेगी तो फिर कार्यकर्ता आखिर अपना वोट किसे देगा और अगर कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी और दूसरी पार्टियां लड़ेंगे तो कार्यकर्ता कहीं ना कहीं उनमें अपनी विचारधारा की तलाश करेगा या फिर उनका समर्थन करेगा. फिर 2024 में कांग्रेस पार्टी किसके पास जाएगी?
राहुल गांधी ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कहा था कि क्षेत्रीय पार्टियों के पास कोई विचारधारा नहीं है और बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस की विचारधारा ही कर सकती है. दूसरी तरफ कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों के आगे राज्य दर राज्य समर्पण कर रही है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा जारी किए गए लेटर पर अगर भरोसा भी किया जाए तो किस आधार पर माना जाए कि 2024 का चुनाव कांग्रेस पूरे दमखम के साथ लड़ेगी और अंदर खाने उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक और बंगाल तक क्षेत्रीय पार्टियों का समर्थन नहीं करेगी, सरेंडर नहीं करेगी. 2019 में क्या हुआ था?